Raghuvir Sahay Rachanawali : Vols. 1-6
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रघुवीर सहाय की रचनाएँ आधुनिक समय की धड़कनों का जीवंत दस्तावेज हैं। इसीलिए छह खंडों में प्रकाशित उनकी रचनावली में आज का समय संपूर्णता में परिभाषित हुआ है। अपनी अद्वितीय सर्जनशीलता के कारण रघुवीर सहाय ऐसे कालजयी रचनाकारों में हैं जिनकी प्रासंगिकता समय बीतने के साथ बढ़ती ही जाती है। फिर उन्हीं लोगों से शीर्षक रचनावली के इस पहले खंड में रघुवीर सहाय की 1946 से 1990 तक की प्रकाशित-अप्रकाशित संपूर्ण कविताएँ संकलित हैं। इस खंड में शामिल कविता-संग्रहों के नाम हैं : ‘सीढ़ियों पर धूप में’ (1960), ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ (1967), ‘हँसो, हंसो जल्दी हँसी’ (1975), ‘लोग भूल गए हैं’ (1982), ‘कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ’ (1989) तथा ‘एक समय था’ (1995)। इन संग्रहों के अलावा बाद में मिली कुछ नई अप्रकाशित कविताएँ भी इस खंड में हैं। संग्रह के परिशिष्ट में ‘यह दुनिया बहुत बड़ी है, जीवन लंबा है’, शीर्षक से रघुवीर सहाय की सैकड़ों आरंभिक कविताएँ संकलित हैं।
रघुवीर सहाय ने अपने जीवनकाल में ही अपनी आरंभिक कविताओं का संग्रह तैयार किया था, लेकिन अब तक यह अप्रकाशित था। कवि के काव्य-विकास को समझने की दृष्टि से यह सामग्री अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। परिशिष्ट में ही रघुवीर सहाय की बरस-दर-बरस जिंदगी का खाका और सैकड़ों वर्षों का उनका वंश-वृक्ष भी दिया गया है। अपने नए कथ्य और शिल्प के कारण रघुवीर सहाय ने हिंदी कविता को नया रूप दिया है। इस खंड की कविताओं में आप उस नए रूप को आसानी से पहचान सकते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2000 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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