Raniya Sab Janti Hain

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Raniya Sab Janti Hain

Raniya Sab Janti Hain

125.00 105.00

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125.00 105.00

Author: Vartika Nanda

Availability: 5 in stock

Pages: 100

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 9789350729762

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

रानियाँ सब जानती हैं

अपमान – अपराध – प्रार्थना – चुप्पी…से उपजीं वर्तिका नन्दा की यह कविताएँ उन रानियों ने कही हैं जिनके पास सारे सच थे पर जुबां बंद। पलकें भीगीं। साँसें भारी। मन बेदम। इन कविताओं को समाज में बिछे लाल कालीनों के नीचे से निकाल कर लिखा गया है – सुनंदा पुष्कर का जाना, एसिड अटैक से पीड़ित युवतियाँ या बदबूदार गलियों में अपने शरीर की बोली लगातीं, निर्भया या फिर बदायूँ जैसे इलाकों में पेड़ पर लटका दी गईं युवतियाँ इस संग्रह की साँस हैं। ये सभी कभी किसी की रानियाँ थीं। बाहर की दुनिया जान न पाई – नई रानी के लिए पुरानी रानी को दीवार में चिनवाना कब हुआ और कैसे हुआ। हर दौर में रानियों के खिलाफ़ कैसे रची गई साज़िश और सच हमेशा किन संदूकों में बंद रहे।

ये कविताएं प्रार्थनाएं हैं जो हर उस तीसरी औरत की तरफ़ से सीधे रब के पास भेजी गई हैं। जवाब आना अभी बाकी है। इसलिए यह भाव अपराध के सीलन और साज़िशों भरे महल से गुजर कर निकले हैं। वे तमाम औरतों जो मारी गई हैं, जो मारी जा रही हैं या जिनकी बारी अभी बाकी है- उनकी दिवंगत, भटकती आत्माएँ इनके स्वरों से परिचित होंगी। वैसे भी इस देश की काग़ज़ी इमारतों में न्याय भले ही दुबक कर बैठता हो लेकिन दैविक न्याय तो अपना दायरा पूरा करता ही है। राजा भूल जाते हैं – जब भी कोई विनाश आता है, उसकी तह में होती है – किसी रानी की आह!

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Authors

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Paperback

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Pages

Language

Hindi

Publishing Year

2015

Pulisher

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