Rashtra-Bhasha Aur Rashtriya Ekta

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Rashtra-Bhasha Aur Rashtriya Ekta

Rashtra-Bhasha Aur Rashtriya Ekta

199.00 149.00

In stock

199.00 149.00

Author: Ramdhari Singh Dinkar

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789389243796

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता

‘जातियों का सांस्कृतिक विनाश तब होता है जब वे अपनी परम्पराओं को भूलकर दूसरों की परम्पराओं का अनुकरण करने लगती हैं। इस सांस्कृतिक दासता का भयानक रूप वह होता है, जब कोई जाति अपनी भाषा को छोड़कर दूसरों की भाषा अपना लेती है। फल यह होता है कि वह जाति अपना व्यक्तित्व खो बैठती है। उसके स्वाभिमान का विनाश हो जाता है।’ स्वाधीनता के सात वर्ष बाद राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा दी गई यह गम्भीर चेतावनी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय थी। दिनकर जी एक समर्थ कवि और ओजस्वी वक्ता ही नहीं, प्रखर चिन्तक भी थे।

इस संग्रह में जो विचारोत्तेजक, सारगर्भित भाषण और लेख संगृहीत हैं, वे इस बात के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ‘राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता’ पुस्तक जिसका विषय प्रायः भाषा और संस्कृति है, देश की ज्वलन्त समस्याओं के प्रति दिनकर जैसे एक साहित्यकार का निर्भीक दृष्टिकोण भी है। संस्कृति की रचना और अभिव्यक्ति कला के माध्यम से होती है और भारतीय कला का यह स्वाभाव है कि वह यूरोप की कलात्मक भंगिमाओं से सामंजस्य नहीं बिठा सकती। बहुत प्राचीन काल में, यूनानी कला का सम्मिश्रण भारतीय कला से हुआ था। परिणामस्वरुप, गांधार-कला का जन्म हुआ। किन्तु वह भारत में टिक नहीं सकी, क्योंकि वह अभारतीय थी, क्योंकि भारत की आत्मा अपने को इस मिश्रित कला के भीतर से व्यक्त नहीं कर सकती थी।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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