Ravi Se Yamuna Tak

-20%

Ravi Se Yamuna Tak

Ravi Se Yamuna Tak

399.00 319.00

Out of stock

399.00 319.00

Author: Shailendra Shail

Availability: Out of stock

Pages: 200

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788119014279

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

रावी से यमुना तक

भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित अपनी बहुचर्चित संस्मरण पुस्तक : ‘स्मृतियों का बाइस्कोप’ के माध्यम से पाठकों के मन में अपनी विशेष छवि निर्मित करने वाले कवि और संस्मरणकर्ता शैलेन्द्र शैल का प्रथम उपन्यास ‘रावी से यमुना तक’ पढ़कर, मैं लगभग चकित हूँ। सच स्वीकारूँ तो किसी सीमा तक अभिभूत !

अपने बृहत बहुआयामी पाठ में तीन पीढ़ियों का आख्यान समेटे हुए ‘रावी से यमुना तक’ का अति संवेदी कथा विन्यास भारत विभाजन की विस्थापन की रक्तिम पीड़ा से आरंभ होकर स्वतंत्र भारत में रचने बसने को दर-बदर हुए एक अति साधारण परिवार के असाधारण चरित्र में विकसित होते रमाकान्त, गाँधीवादी सिद्धान्तों, आदर्शों और मूल्यों को अपने जीवन जीने की दृष्टि बनाए हुए, अनेक संघर्षों का सामना करते हुए, कर्मठता को जिजीविषा की रीढ़ बनाए हुए अपनी संतान को संस्कारों और संस्कृति के विविध पाठों से समृद्ध और सुदृढ़ करते हुए, स्कूल के एक मामूली अध्यापक से कुलपति की पद और प्रतिष्ठा को अर्जित करते हुए कब पाठकों के हृदय में कथा नायक से महानायक में परिवर्तित हो उठते हैं कि पाठक विस्मय से भर उठता है और उपन्यास के अंत तक पहुँचते हुए स्वयं को अपने ही द्वन्द्व के कंटीले कटघरे में खड़ा हुआ पाता है। यह क्या हुआ ! अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ वह अपनी ही अराजक अमानुषिता का गुलाम हो गया ? आजादी हासिल करके भी कब कैसे सरक गए उसके ही हाथों से आजादी के मायने ? निजी महत्वाकांक्षाओं और स्वार्थों में स्खलित होते ! मैं कथा की गिरह को हरगिज नहीं खोलने वाली।

चाहती हूँ कि इस दस्तावेज़ी रोचक उपन्यास को स्वयं पाठक उसके पाठ से गुजरते हुए उसके समूचे कालखंड की ऐतिहासिकता को, समाजशास्त्रीय मनोविज्ञान को, राजनीतिक क्षरण को, सांस्कृतिक विचलनों को उन तारीखों के साक्ष्य के हवाले से उन उद्वेगों को स्वयं अनुभूत करें। यह उपन्यास 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में सैन्य जीवन के अन्तर्द्वंद्वों की चुनौतियों को भी संस्थापित करते हुए, महसूस करवाता है-कि राष्ट्र की सार्वभौमिकता को बचाए और बनाए रखने में चरित्र की नैतिकता और उसमें निहित मूल्यों की क्या भूमिका होती है….

– चित्रा मुद्गल

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Ravi Se Yamuna Tak”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!