Sabhyata Se Samvad

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Sabhyata Se Samvad

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Author: Shambhunath

Availability: 5 in stock

Pages: 222

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170558492

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

सभ्यता से संवाद : भारत को फिर खोजते हुए

पश्चिमी उपनिवेशक कभी अपना अतीत नहीं देखते थे। वे सिर्फ दक्षिण अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया में बसे पुराने निवासियों को असभ्य कहते थे। ये घुमा-फिरा कर आलसी, हिंसक और अविश्वसनीय समझे जाते थे। ऐसा माना जाता था कि इन निवासियों में अपनी भूमि को विकसित करने की बौद्धिक क्षमता नहीं है। ये अपनी भूमि का इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए इसे अपने पास रखने का इन्हें हक नहीं है। यूरोप के साम्राज्यवादियों ने अपने आक्रमणों, विजयों और विनाशलीलाओं को यही सब कहकर औचित्य प्रदान किया था। यह भी कहा गया कि उपनिवेशित देशों के प्राचीन निवासियों को भौतिक और सांस्कृतिक उन्मूलन का दर्द झेलना पड़ा, क्योंकि यूरोप में पूँजीवाद के उत्थान ने इन्हें उत्पादन की पूँजीवादी पद्धति को अंगीकार करने के लिए बाध्य कर दिया। इसके अलावा, धार्मिक रास्ते से भी तर्क आया कि सभ्यता के प्रचार के लिए प्राचीन निवासियों, बर्वरों या पिछड़ों का ईसाईकरण जरूरी है। उनके ‘सभ्यता के मिशन’ और नस्लवाद के बीच फर्क नहीं बचा था । जाहिर है, इन्हीं संदर्भों में ‘ह्वाइटमैन्स बर्डन’ का यूरोपीय अहंकार सामने आया था, जो परिवर्तित रूप में अब ‘सभ्यताओं की टकराहट ‘ है। उस अहंकार का नया रूप है अमेरिकी वर्चस्व का औचित्य सिद्ध करते हुए यह कहा जाना कि अमेरिका ही मुक्त बाजार, मानवाधिकार और लोकतंत्र का अभिभावक है।

(इसी पुस्तक से)

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2008

Pulisher

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