Sattar Bal Kahaniyan
Sattar Bal Kahaniyan
₹100.00 ₹99.00
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Author: Janardana Hegde
Pages: 116
Year: 2021
Binding: Paperback
ISBN: 9789355481054
Language: Hindi
Publisher: Sahitya Academy
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Description
सत्तर बाल कहानियाँ
निश्चित ही बच्चे कथा-प्रेमी होते हैं। कथाएँ न केवल बच्चों को, अपितु सभी को अच्छी लगती हैं। इसीलिए सभी भाषाओं में कथा-संसार बहुत ही व्यापक दिखाई देता है और वह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही दिखाई दे रहा है।
यह सारा संसार स्वीकार करता है कि संस्कृत का क्षेत्र कथा-साहित्य का उत्पत्ति-स्थल है, फिर भी अन्य भाषाओं के समान संस्कृत में कथा-साहित्य का अधिक विकास नहीं हुआ। विकास नहीं हुआ-यह अभिप्राय नहीं है; जितना विकास अपेक्षित था, उतना नहीं हुआ। उसमें भी बाल कथा-साहित्य का क्षेत्र आज भी इस कमी का अनुभव करता है।
यदि भाषा की सरलता, कथा वस्तु की रोचकता हो, तभी बालक कथा पढ़ने में प्रवृत्त हो सकते हैं। यद्यपि कथा का मुख्य उद्देश्य नीति का ज्ञान ही है, तथापि उसे शब्दों द्वारा न कहकर परोक्ष रूप से कांता-सम्मित रूप से अर्थात् सरसता के साथ ज्ञात कराया जाए तो उसका विशेष परिणाम संभव है। इन्हीं सभी बिंदुओं के समावेश के लिए इस कथा-संग्रह में प्रयास किया गया है। मुख्य रूप से महापुरुषों की जीवन-घटनाओं का संग्रह करने का विशेष प्रयास किया है। इस प्रकार की जीवन-घटनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में दिखाई देती हैं और विभिन्न लोगों के मुख से सुनाई देती हैं। इस प्रकार देखी और सुनी गईं जीवन घटनाएँ संकलित करके यह कथा-संग्रह तैयार किया गया है। इसमें सत्तर बाल-कथाएँ हैं।
प्रत्येक महीने ‘संभाषण संदेश’ में ‘बालमोदिनी’ खण्ड में नियमित तीन कथाएँ प्रकाशित की जाती रही हैं। जब अन्य लेखकों की कथाएँ न हों तब ये कथाएँ तैयार की गई थीं। इस पुस्तक रूप में कथाओं की उपलब्धता अनेक लोगों का उपकार कर सकती है, इसलिए उनका संकलन करके यह संग्रह प्रकाशित किया जा रहा है।
इस संग्रह का प्रकाशन करने के लिए सभी सहयोगियों और मुद्रकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जाती है।
विजयसं।। ज्येष्ठ कृष्णपक्ष नवमी तिथि
– जनार्दन हेगडे
अनुक्रम
★ प्रस्तावना
★ सादगी
★ आप महान् विभूति हैं
★ गुरु के वचन का पालन
★ प्रभु रामचंद्र दिखाई दिए
★ मुख्य वस्तु की रक्षा
★ कुआँ समेत घर
★ सार्वदेशिक कारण तुम हो !
★ शांति का प्रतीक कबूतर
★ व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा
★ दाता तो परवरदिगार ही है
★ हम दोनों भाई समान व्यवसाय वाले
★ क्या परमात्मा है ?
★ अधीरता शोभा नहीं देती
★ वाणिज्य-कौशल
★ धर्म का सार
★ यह महात्माओं की धरती है
★ राममंदिर की खोज
★ भगवान् के दर्शन की योग्यता
★ कार्य-संस्कृति
★ कृष्ण भक्त रसखान
★ कवि नारायण भट्टत्तिरि
★ मैं यहीं कार्य करूँगा
★ प्रचंडप्रतिज्ञ चंड
★ अहो, प्रशंसा में अरुचि ! !
★ उचित पुरस्कार
★ उस वीर को देखना चाहता हूँ
★ कुछ भी नहीं चाहिए
★ हमें कृतज्ञ क्यों होना चाहिए ?
★ सफलता प्राप्ति तक अनशन
★ विदेश जाने की लालसा
★ सुख मृगमरीचिका के समान है
★ चतुर टोडरमल
★ पाप के भय से मुक्ति
★ गाय सर्वथा अवध्य और वंदनीय है
★ प्रशंसा प्राप्ति के लिए…
★ माता और मातृभूमि
★ जो ज्ञान दूसरों को हराने के लिए…
★ तीसरा ‘नेत्र’
★ स्वदेशी वस्तु ही उपयोग के योग्य है
★ सम्राट् कैसा हो ?
★ विनय और योग्यता
★ विदेह कौन ?
★ किसका महत्त्व किस कारण से ?
★ स्थिर मन
★ आशय तो यह है
★ पुरुषार्थ में विश्वास हो
★ संकल्प-मात्र से कया ?
★ अमृता देवी को नमस्कार
★ पंडित की तप-शक्ति
★ सज्जन संग चंदन गंध समान
★ अपरिग्रहशीलता
★ मार्ग का उपदेश
★ सर्वश्रेष्ठ गुरुदक्षिणा
★ महामेधावी
★ नक्षत्रों पर दृष्टि
★ न्याय के नियम उल्लंघन के योग्य नहीं
★ आत्म-साक्षात्कार की योग्यता
★ गुरु की प्राप्ति होने पर…
★ चिंतन मात्र से हानि नहीं
★ वे भी कुटुंबी जैसे हैं !!
★ लक्ष्य से न डिगना
★ पाप का परिहार सरल नहीं
★ शीघ्रता तो करनी चाहिए
★ जीवनतत्त्व
★ वास्तविक आनंद
★ सबसे तीखा उत्तर
★ मन की उदारता
★ चिकित्सालय कक्ष बनाएँ
★ तीन गुण अपेक्षित हैं
★ गीता पढ़ना व्यर्थ नहीं है
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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