Sharmishtha

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Sharmishtha

Sharmishtha

199.00 169.00

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199.00 169.00

Author: Anushakti Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 150

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789389563627

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

शर्मिष्ठा

पाण्डवों की पूर्वजा थीं जिनका मौलिक ज़िक्र ब्रह्मपुराण में मिलता है। असुर सम्राट वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा बेहद सुन्दर और प्रतिभाशालिनी थीं। वह देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच, असुर गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी की हमउम्र थीं और उनकी मित्र भी। इन तीनों की मित्रता गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में अध्ययन करते हुए प्रगाढ़ हुई थी जहाँ देवयानी का कच के लिए झुकाव भी उत्पन्न हुआ था। हमउम्री और परिस्थिति ने शर्मिष्ठा और देवयानी के बीच मित्रता के अलावा एक अन्तर्निहित प्रतिस्पर्धा का भाव भी जगा दिया था। कच के द्वारा देवयानी का प्रेम निवेदन अस्वीकृत कर देने के पश्चात् देवयानी के स्वभाव में अति रुष्टता आ गयी थी और इसका सबसे अधिक शिकार शर्मिष्ठा बनी।

दोनों के बीच की एक छोटी-सी लड़ाई को देवयानी के स्वार्थ और क्रोध ने ऐतिहासिक घटनाक्रम में बदल दिया। यहीं इन दोनों की कहानी में हस्तिनापुर के क्षत्रिय राजा ययाति का प्रवेश होता है, जिससे परम्परा के उलट जाकर देवयानी ने विवाह किया था और अपने पिता के प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए शर्मिष्ठा को अपनी दासी बनने के लिए मजबूर किया। अपने पिता के वंश को बचाने के लिए शर्मिष्ठा देवयानी की दासी बनना स्वीकार कर लेती है। यहाँ से शर्मिष्ठा की ज़िन्दगी के नये पन्ने खुलते हैं, जिसमें ययाति के साथ प्रेम की कथा, उस प्रेम के प्रतिफल अपने पुत्र पुरु के जीवन हेतु हस्तिनापुर का त्याग एवं वन-विचरण की गाथा और बाकी तमाम वे संघर्ष हैं जो एक स्त्री को अपने पुत्र को अकेले पालते, बड़ा करते हुए हो सकते हैं।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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