Sudoor Jharne Ke Jal Mein

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Sudoor Jharne Ke Jal Mein

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Author: Sunil Gangopadhyay

Availability: 5 in stock

Pages: 154

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126713332

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

सुदूर झरने के जल में

‘शैशव के करीब बीस-पच्चीस वर्ष बाद मैं रोया था। निर्लज्ज की तरह रो रहा था। मुझे हिचकियाँ आने लगीं।…मैंने खिड़की से दुबारा झाँकने की कोशिश की। …बाहर सिर्फ मेघ ही मेघ। मैं गुम होता जा रहा हूँ। निचाट अकेला!…मार्गरेट, मैं हूँ।…एक बार फिर कहो, हमारा हर पल बेहद आनंद-भरा था।’ अपने आदि और अन्त से बिल्कुल बेखबर, बेपरवाह जीवन-यात्रा के असीम विस्तार में निर्मल जल की झील जैसा चमकता एक बिन्दु, प्रेम का एक अपूर्व अनुभव। नील लोहित जब आकाश में उड़ान भरता है, तो उसकी स्मृति बस यही कुछ अपने साथ ले जाती है। मार्गरेट हमेशा-हमेशा उसके साथ नहीं रह सकती, भले ही उसे उसके ईश्वर से अनुमति भी मिल गई हो। ‘अपने माँ, डैडी, यहाँ तक कि गॉड से भी ज्यादा, मैं तुम्हें प्यार करती हूँ…मुझे ले लो…’ वह कहती है। लेकिन नील के अंतस की बेचैनी उसे उस झील के तट पर डेरा डालने की इजाजत नहीं देती।

बंगला के विख्यात कथाकार सुनील गंगोपाध्याय की कलम से उतरी यह प्रेमकथा हमें अपने साथ अमेरिका के एक खूबसूरत अंचल की बड़ी आत्मीय सैर कराती हुई मनुष्य की इच्छाओं, लाचारियों, आवेगों और निराशाओं से भी परिचित कराती है; और, प्रेम के प्रति एक गहन आस्था भी जगाती है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2007

Pulisher

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