- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
सुखदा
सुखदा की यह कहानी सामने लाते हुए मेरा मन निःशंक नहीं है। सुखदा देवी हाल तक तो थी ही। उनके परिचित और समधी जीवन अनेक है। स्मृति उनकी ठंडी नहीं हुई। ऐसे में उनकी कथा को जीवित करना जोखम का काम है। लेकिन कहानी निष्कपटता से लिखी गई हैं और अन्याय उसमें किसी के प्रति नहीं है।
उपसंहार में उन्होंने हमसे विदा ली है। किन्तु उसके नीचे एक तिथि भी लिखी पाई गयी। जग से ही उनके विदा लेने की तिथि में उसमे काफी अंतर है। वक्का असंभव नहीं है। इस कथा का उत्तरार्थ भी लिखा गया हो। वह प्राप्त हुआ तो यथावसर प्रस्तुत होगा।
कहानी के यह पृष्ट जैसे-तेसे हाथ आये थे, अतः उत्तरार्द्ध हुआ तो उसे पाने में उधम लगेगा। अपनी ओर से उस उपलब्धि में मै प्रयत्न में कमी नहीं उठा रखूँगा, इतना ही कह सकता हूँ। आगे भगवान जाने।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.