Teen Upanyas

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Teen Upanyas

Teen Upanyas

195.00 160.00

In stock

195.00 160.00

Author: Qurratul Ain Haider

Availability: 4 in stock

Pages: 238

Year: 2013

Binding: Paperback

ISBN: 9788126721085

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

तीन उपन्यास

अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो मामूली नाचने-गानेवाली दो बहनों की कहानी है जो बार-बार मर्दों के छलावों का शिकार होती हैं। फिर भी यह उपन्यास जागीदार घरानों के आर्थिक ही नहीं,भावात्मक खोखलेपन को भी जिस तरह उभारकर सामने लाता है, उसकी मिसाल उर्दू साहित्य में मिलना कठिन है। एक जागीदार घराने के आग़ा फरहाद बकौल खुद पच्चीस साल के बाद भी रश्के-क़मर को भूल नहीं पाते और हालात का सितम यह है कि उनके लिए बंदोबस्त करते हैं तो कुछेक ग़ज़लों का ताकि ‘‘अगर तुम वापस आओ और मुशायरों में मदऊ (आमंत्रित) किया जाए तो ये ग़ज़लें तुम्हारे काम आएँगी।’’ आखिर सबकुछ लुटने के बाद रश्के-क़मर के पास बचता है तो बस यही कि ‘‘कुर्तों की तुरपाई फ़ी कुर्ता दस पैसे…’’जहाँ उपन्यास का शीर्षक ही हमारे समाज में औरत के हालात पर एक गहरी चोट है,वहीं रश्के-कमर की छोटी,अपंग बहन जमीलुन्निसा का चरित्र,उसका धीरज, उसका व्यक्तियों को पहचानने का गुण और हालात का सामना करने का हौसला मन को सराबोर भी कर जाता है।

खोखलापन और दिखावा-जागीदार तबक़े की इस त्रासदी को सामने लाने का काम दिलरूबा उपन्यास भी करता है। मगर विरोधाभास यह है कि समाज बदल रहा है और यह तबका भी इस बदलाव से अछूता नहीं रह सकता। यहाँ लेखिका ने प्रतीक इस्तेमाल किया है कि फ़िल्म उद्योग का जिसके बारे में इस तबक़े की नौजवान पीढ़ी भी उस विरोध-भावना से मुक्त है जो उन बुजुर्गों में पाई जाती थी। मगर उपन्यास का कथानक कितनी पेचीदगी लिए हुए है इसे स्पष्ट करता है गुलनार बानो का चरित्र-इसी तबके की सताई हुई खातून जो अपना बदला लेने के लिए इस तबके की लड़की को दिलरुबा बनाती है (इस तरह नज़रिये की इस तब्दीली का माध्यम भी बनती है) और ख़ुदा का शुक्रिया अदा करती है कि उसने ‘‘एक तवील मुद्दत के बाद मेरे कलेजे में ठंडक डाली।’’

तीसरा उपन्यास एक लड़की की जिंदगी है जिसे लेखिका की बेहतरीन तख़लीक़ात में गिना जाता है। यहाँ उन्होंने एक रिफ़्यूजी सिंधी लड़की के ज़रिये पूरे रिफ़्यूजी तबके के दुख-दर्द को उभारा है। उस लड़की के किरदार को लेखिका ने इस तरह पेश किया है कि वह अकेली शख़्सियत न रहकर रिफ़्यूजी औरत का नुमाइंदा किरदार बन जाती है।

इस तरह कुर्रतुल ऐन हैदर के ये तीनों उपन्यास उनके फन के बेहतरीन नमूनों में गिने जा सकते हैं,साथ ही ये पढ़नेवाले के सामने आज के उर्दू फ़िक्शन के तेवर को बड़े ही कारगर ढंग से पेश करते हैं।

अनुक्रम
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो 9
दिलरुबा 57
एक लड़की की जिंदगी है 105

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2013

Pulisher

Language

Hindi

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