Ticket Sangrah

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325.00 255.00

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Author: Nirmal Verma

Availability: 5 in stock

Pages: 230

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350001615

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

टिकट संग्रह

चेकोस्लोवाकिया का नाम सुनते ही पिछली सदी के जिन इने-गिने लेखकों का ध्यान बरबस आता है, उनमें कारेल चापेक प्रमुख हैं। वह सम्पूर्ण रूप से बीसवीं शताब्दी के व्यक्ति थे, असाधारण अन्तर्दृष्टि के मालिक। उनका सुसंस्कृत लेखक व्यक्तित्व हमें बरबस रोमाँ रोलों और रवीन्द्रनाथ जैसी ‘सम्पूर्ण आत्माओं’ का स्मरण करा देता है। उनकी लगभग सब महत्त्वपूर्ण रचनाएँ दो विश्व युद्धों के बीच लिखी गयीं। यहाँ प्रस्तुत उनकी एक कहानी ‘टिकट संग्रह’ में वे कहते हैं, ‘किसी चीज़ को खोजना और पाना-मेरे ख़याल में ज़िन्दगी में इससे बड़ा सुख और रोमांच कोई दूसरा नहीं। हर आदमी को कोई-न-कोई चीज़ खोजनी चाहिए। अगर टिकट नहीं तो सत्य या पंख या नुकीले विलक्षण पत्थर।’

चापेक ने अपने साहित्य में हर व्यक्ति के ‘निजी सत्य’ को खोजने का संघर्ष किया था-एक भेद और रहस्य और मर्म, जो साधारण ज़िन्दगी की औसत और क्षुद्र घटनाओं के नीचे दबा रहता है। यदि कोई चीज़ रहस्यमय है तो यह कि आपकी ज़िन्दगी किस ख़याल में डूबी है या आपकी नौकरानी सपने में किसे देखती है या आपकी पत्नी इतनी ख़ामोश मुद्रा में खिड़की से बाहर क्यों देख रही है…..।

बीसवीं सदी के छठे दशक में कथाकार श्री निर्मल वर्मा ने पहली बार कारेल चापेक की कहानियों को मूल चेक भाषा से रूपान्तरित करके हिन्दी में प्रस्तुत किया था। इस बीच विश्व में कई ऐतिहासिक परिवर्तन हुए हैं। बदली हुई परिस्थितियाँ कई विषयों के नये सिरे से पुनर्निरीक्षण की माँग करती हैं। इस पुनर्मूल्यांकन में यह ऐतिहासिक अनुवाद भी अपनी भूमिका रेखांकित करेगा, ऐसा विश्वास है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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