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Unsung Composer of INA Caiptan Ram Singh Thakur
₹500.00 ₹400.00
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₹500.00 ₹400.00
Author: Rajinder Rajan
Pages: 168
Year: 2023
Binding: Hardbound
ISBN: 9789357758994
Language: Hindi
Publisher: Bhartiya Jnanpith
अनसंग कम्पोजर ऑफ आई एन ए कैप्टन रामसिंह ठाकुर
कैप्टन राम सिंह ठाकुर का जन्म 15 अगस्त, 1914 को धर्मशाला के समीप खनियारा गाँव में हुआ था। वे सेना में भर्ती हुए और सिंगापुर के आईएनए बैंड के म्यूज़िक डायरेक्टर बने। उन्होंने नेताजी के कहने पर क़ौमी तराना ‘शुभ सुख चैन की बरखा बरसे…’ का संगीत तैयार किया था, जो हू-ब-हू ‘जन गण मन’ से मिलता-जुलता था। आज़ादी के बाद टैगोर के गीत का सम्पादन कर उसे सरल बनाया गया और कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने उसकी वर्तमान आर्केस्ट्रा धुन तैयार की। ‘क़दम क़दम बढ़ाये जा’ के अलावा राम सिंह ठाकुर ने कुल 64 गीतों की धुनें तैयार की हैं, जिसका रिकॉर्ड पीएसी मुख्यालय, लखनऊ के आर्काइव में उपलब्ध है। अगर कैप्टन राम सिंह ठाकुर आईएनए के बैंड मास्टर ना होते तो आईएनए के हज़ारों सैनिकों में भारत के स्वतन्त्रता के लिए वो जोश और जज़्बा पैदा नहीं होता, जिसके कारण भारत से बाहर सिंगापुर, यानी विदेशी ज़मीन पर भारत को आज़ाद करने का सपना देखा गया व वह अन्ततः साकार भी हुआ। राम सिंह ठाकुर एक गोरखा सिपाही थे और एक महान संगीतकार भी। लेकिन आज़ादी के बाद की सरकार ने आईएनए के ध्वज को स्वीकार किया और राष्ट्रगान की धुन को भी अपनाया। लेकिन नेताजी से मतभेदों के कारण राम सिंह ठाकुर को कोई भी सवोच्य सम्मान नहीं मिला जिसके वे सही मायने में हक़दार थे।
इस पुस्तक के सम्पादन में राजेन्द्र राजन का लम्बा शोध कार्य है। इस पुस्तक का विषय कैप्टन राम सिंह ठाकुर के बहुमूल्य योगदान को पुनर्स्थापित करना है, ताकि भावी पीढ़ी यह जान सके, कि राष्ट्रगान के लिए किस व्यक्ति ने कड़ा परिश्रम किया और अनेकों बार अपनी जान को जोख़िम में डाला।
—डॉ. महेश्वर दत्त शर्मा
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
राजेन्द्र राजन
जन्म व स्थान: 15 अगस्त, 1953, गाँव बल्ह, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), एम.एम.सी. (पत्रकारिता), अनुवाद में डिप्लोमा एवं एफटीआईआई, पुणे से फ़िल्म एैप्रीसिएशन।
प्रकाशन: टापू, बन्द दरवाज़े, फ़ालतू के लोग, फूलों को पता है। (कहानी संग्रह) सैलीब्रेशन, मौन से संवाद (उपन्यास), हिमाचल की प्रतिनिधि कहानियाँ एवं बारह साक्षात्कार (सम्पादित), विमल राय पथ, पन्द्रह-बीश के जंगलों से (यात्रा-संस्मरण)।
फ़िल्म निर्माण: ‘मुट्टी भर धूप’ कहानी पर दूरदर्शन द्वारा टेलीफ़िल्म का निर्माण। अनेक वृत्तचित्रों का निर्माण। ‘तातरियाँ विलुप्त होतीं जीवन रेखाएँ’, ‘द लॉस्ट रूट्स’, ‘आई एम श्रेष्ठा’ एवं ‘ए हम्बल बिगनिंग’ वृत्तचित्रों का निर्माण।
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