Via Fursatganj

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Author: Balendu Dwivedi

Availability: 4 in stock

Pages: 280

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788194939825

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

वाया फ़ुरसतगंज

दरअसल वाया फ़ुरसतगंज आज़ाद देश में विकसित हो रहे राजनीतिक चरित्र के दोगलेपन की कथा है। इसका यह दोगलापन सर्वव्यापी है और कदाचित इसका असर भी…! इसीलिए इसका प्रसार जीवन के सभी क्षेत्रों में होता दिखाई देता है। इसने हमारे आसपास के रोज़मर्रा के वातावरण को इस क़दर आच्छादित कर लिया है कि इसके बिना जीवन की किसी एक गतिविधि का संचालन सम्भव नहीं…! क्या धर्म, क्या समाज, क्या प्रशासन, क्या पुलिस और क्या न्यायपालिका-एक-एक कर सभी इस बदलाव के अभ्यस्त हो चुके हैं। दुर्भाग्य यह कि हम स्वयं इस बदलाव पर आह्लादित होते चलते हैं…! राजनीति को तो निठल्लेपन, डकैती, लूट, मक्कारी, झूठ और निर्वस्त्रता का रोग लग गया है। वह इसे सार्वभौम बना देना चाहती है। वह इस कोशिश में है कि उसके साथ बारी-बारी सब-के-सब निर्वस्त्र होते चलें..! हम भी कहीं-न-कहीं उसके इस अभियान में उसके साथ खड़े दिखाई देते हैं।

ऐसे में वाया फ़ुरसतगंज आधुनिक राजनीति और समाज का वह आईना बनकर हमारे सामने आता है जहाँ हम अपने चेहरे के विद्रूप को ठीक करने और उस पर लगी कालिख को साफ़ करने के बजाय आईने को साफ़ करने की कोशिशों में लगे दिखाई देते हैं। हमारे लिए हर घटना केवल मनोरंजन-मात्र है और इसके अतिरिक्त यदि वह कुछ है तो केवल एक-दूसरे को नीचा दिखाने का खेल और आपसी षड्यन्त्र का मैदान भर…! राजनीति का मक़सद केवल सत्ता हासिल करना रह गया है और आश्चर्य यह कि भोली एवं बेवकूफ़ जनता, उसके साथ इस खेल में शामिल होकर, बेतहाशा नर्तन करते हुए आत्मविभोर दीखती है। उसका यह बेतुका आत्मसमर्पण न केवल फुरसतगंज बल्कि पूरे देश के निवासियों के रगों में बहने वाले तरल की नियति बनकर रह गया है।

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Authors

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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