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Vraj Ke Vaishnav Sampradaya Aur Hindi Sahitya
₹350.00 ₹290.00
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Author: Harimohandas Tandan
Pages: 226
Year: 2020
Binding: Hardbound
ISBN: 9789389742954
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
व्रज के वैष्णव सम्प्रदाय और हिन्दी साहित्य
प्रस्तुत पुस्तक में कृष्ण भक्ति के इतिहास तथा सिद्धान्तों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। सम्यक् ज्ञान के बिना जिज्ञास्य विषय अपूर्ण और अस्पष्ट ही रह जाता है। साम्प्रदायिक कृष्ण भक्ति से अनुप्राणित होकर लिखे गये हिन्दी साहित्स का अनुशीलन उनके सिद्धान्तों को पृष्ठभूमि में करने से अनेक भ्रमों का निराकरण हो जाता है। इस निबन्ध में साहित्य पर उनके प्रभाव को विवेचन व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि रूप से किया गया है। कृष्ण भक्ति का प्रारम्भ सहस्राब्दियों पूर्व हुआ था। समयानुसार अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक कारणों से उसका क्रमिक विकास होता गया। आन्दोलन के फलस्वरूप उसके प्रचलित रूप को देखकर अनेक विद्वान् उस पर विदेशी प्रभाव सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं। जिन अनेक भारतीय साधनाओं के उपकरणों ने उसे पल्लवित किया है उनका क्रमिक इतिहास इस प्रकरण का प्रमुख विषय है। अध्ययन की साम्रगी यत्र-तत्र विकीर्ण मिलती है। उसका कहीं भी एकत्र उपयोग नहीं प्राप्त होता। यहाँ न केवल उसे श्रृंखलाबद्ध किया गया है अपितु उसमें अनेक अस्पष्ट गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास भी है।
वल्लभ और गौडीय सम्प्रदायों के अतिरिक्त अन्य सम्प्रदायों का विस्तृत विवरण भी साहित्य के अध्येत्ताओं के समक्ष रखा गया है। निम्बार्क सम्प्रदाय का विचार इस निबन्ध की सीमा से परे है, क्योंकि हिन्दी साहित्य के सृजन में उसका कोई प्रत्यक्ष योग नहीं रहा है। ब्रजभाषा साहित्य के निर्माण का प्रारम्भ वस्तुतः वल्लभाचार्य की प्रेरणा से हुआ है। इस प्रकरण का महत्त्व अनेक स्थलों पर नवीन सामग्रियों के समावेश से बढ़ गया है। कृष्ण भक्ति के प्रमुख कवियों का इसमें नाम निर्देश मात्र है। साहित्यिक कृतियों की समीक्षा भी नहीं है। ग्रन्थ के लघु कलेवर में उसकी अपेक्षा भी नहीं है। इस ग्रन्थ को हम एक परिचयात्मक ग्रन्थ ही कह सकते हैं। हिन्दी साहित्य में व्रजभाषा के योगदान का उल्लेख भी किया है।
‘व्रज के वैष्णव सम्प्रदाय और हिन्दी साहित्य’ के अनुशीलन से जो ज्ञान, कर्म और भक्ति की त्रिवेणी प्रवाहित होगी उससे सभी लोग पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे इसमें कोई सन्देह नहीं है।
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Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
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Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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