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Description
वान्टेड
‘किया ! किया ! दरवाजा़ खोल ! खोल दरवाजा !’ नल बंद होने की आवाज़ सुनाई दी। ‘दरवाजा़ खोल-’ कमर में तौलिया लपेटकर, किया ने दरवाजा खोला। ‘इतना पानी ढालकर, तू क्या धो रहा है ?’ ‘खून के दाग, माँ !’ ‘खून ?’ सुमना ने फुसफुसाकर पूछा, ‘खून कहाँ से लगा ?’ उसकी आवाज बुझ आयी। ‘काबुली बाबू का खून है….मतलब देवेश बाबू का ! पल्टन ने उन पर कई-कई गोलियां दागी थी न !…’ ‘पल्टन ने…?’ सुमना बुदबुदा उठी। ‘हाँ, उन्होंने चीखकर ‘पल्टन’ का नाम लिया था न, तभी मुझे भी यह नाम पता चला। उसके बाद मैं..’ सुमना फर्श पर बैठ गई, तूने वह मर्डर होते अपनी आँखों से देखा ? समाज के बदलाव कि एक झलक इस उपन्यास में दिखती है। समाज विरोधी लोग नेता बन बैठे है। अतः यह उपन्यास कटाक्ष करता है व्यवस्था पर।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2009 |
Pulisher |
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