अरुणा रॉय ने 1975 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी से इस्तीफा दिया और राजस्थान के गाँवों में किसानों और मजदूरों के बीच काम शुरू किया। उन्होंने 1990 में मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) की स्थापना में सहयोग दिया। मजदूरी के सवाल और अन्य अधिकारों को लेकर नब्बे के दशक के मध्य में एमकेएसएस के चलाए संघर्ष ने सूचना के अधिकार के आन्दोलन को जन्म दिया। अरुणा आज भी कई जनतांत्रिक संघर्षों और अभियानों का हिस्सा हैं।
यह पुस्तक एक सामूहिक इतिहास है जो लोकतंत्र को और सार्थक बनाने के उद्देश्य से आम लोगों के जुड़ने और प्रतिकूलतम परिस्थितियों में एकजुट रहने की कहानी बयान करती है।
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