आदिवासी जीवन के विशेषज्ञ और धूनी तपे तीर जैसे प्रसिद्ध उपन्यास के लेखक हरिराम मीणा लम्बे अरसे तक राजस्थान पुलिस विभाग में कार्यरत रहे और पुलिस महानिरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए। अब तक आपकी दस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा कई पुस्तकें देश के नामी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। आपके साहित्य पर सौ से अधिक शोधार्थी एम.फिल. और पी-एच.डी. कर चुके हैं। साहित्य में योगदान के लिए आपको ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च ‘मीरां पुरस्कार’, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान’, बिड़ला फाउंडेशन के ‘बिहारी पुरस्कार’ तथा ‘विश्व हिन्दी सम्मान’ से विभूषित किया जा चुका है।
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