Malvender Jit Singh Waraich
मलवेन्दर जीत सिंह वढ़ैच
जन्म : 1929, गाँव लाधेवाला वढ़ैच, जिला गुजराँवाला।
शिक्षा : अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थ शास्त्र और समाज शास्त्र में एम.ए.।
30 साल गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना में पढ़ाने के उपरान्त नवम्बर, 1989 में सेवानिवृत्त। फिर एल.एल.बी. करके 1992 में माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और वहाँ जनहित पिटिशनों (क्कढ्ढरुह्य) द्वारा ‘कूका विद्रोह’, ‘गदर लहर’, ‘कौमागाटा मारू’ और ‘जलियाँवाला बाग’ के शहीदों को कानूनी तौर पर ‘शहीदों’ का दर्जा दिलवाया।
पहली पुस्तक ‘जीवन संग्राम : आत्मकथा बाबा सोहन सिंह भकना’ (उर्दू से पंजाबी में अनुवाद)। अब तक क्रान्तिकारियों के बारे में लगभग 40 किताबें अंग्रेजी, पंजाबी और हिन्दी में प्रकाशित। यह सिलसिला आज भी जारी है।
हिन्दी में लिखी पुस्तकों में ‘भगत सिंह को फाँसी’ (अदालती फैसले), भाग-1, ‘भगत सिंह को फाँसी’ (अदालती गवाहियाँ), भाग-2, ‘चन्द्रशेखर आजाद : विवेकशील क्रान्तिकारी’, ‘राम प्रसाद बिस्मिल को फाँसी व महावीर सिंह का बलिदान’, ‘भगत सिंह अमर विद्रोही’ शामिल हैं।
आप ने क्रान्तिकारियों की एक गैलरी, ‘नेशनल गैलरी ऑफ पोर्टरेट्स (1857-1947)’ की रचना भी की है, जो सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी, सेक्टर 17, चंडीगढ़ में सुशोभित है।