तीन दशकों तक कुमाऊँ विश्वविद्यालय में शिक्षक; भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला तथा नेहरू स्मारक संग्रहालय तथा पुस्तकालय में फ़ेलो रहे प्रो. शेखर पाठक हिमालयी इतिहास, संस्कृति, सामाजिक आन्दोलनों, स्वतन्त्रता संग्राम तथा अन्वेषण के इतिहास पर यादगार अध्ययनों के लिए जाने जाते हैं। कुली बेगार प्रथा, पण्डित नैनसिंह रावत, जंगलात के आन्दोलनों आदि पर आपकी किताबें विशेष चर्चित रही हैं। आप उन बहुत कम लोगों में हैं जिन्होंने पाँच अस्कोट आराकोट अभियानों सहित भारतीय हिमालय के सभी प्रान्तों, नेपाल, भूटान तथा तिब्बत के अन्तर्वर्ती क्षेत्रों की दर्जनों अध्ययन यात्राएँ की हैं। भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण तथा न्यू स्कूल के कैलास पवित्र क्षेत्र अध्ययन परियोजना से भी आप जुड़े रहे।
आपके द्वारा लिखी कछ किताबें, अनेक शोध-पत्र तथा सैकड़ों लोकप्रिय रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। हिमालयी जर्नल पहाड़ के 20 बृहद् अंकों तथा अन्य अनेक प्रकाशनों का आपने सम्पादन किया है। फिलहाल आप पहाड़ फ़ाउंडेशन से जुड़े हैं और पहाड़ का सम्पादन करते हैं।
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