Aatmahatya Ke Virudh

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Aatmahatya Ke Virudh

Aatmahatya Ke Virudh

295.00 245.00

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Author: Raghuveer Sahai

Availability: Out of stock

Pages: 96

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126717927

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आत्महत्या के विरुद्ध

स्वयं को सम्पूर्ण व्यक्ति बनाने की अनवरत कोशिशों का पर्याय है ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ की कविताएँ ! ‘दूसरा सप्तक’ से हिन्दी कविता में पहचान बनानेवाले कवि रघुवीर सहाय की कविताएँ आधुनिक साहित्य की स्थायी विभूति बन चुकी हैं। बनी-बनाई वास्तविकता और पिटी-पिटाई दृष्टि से रघुवीर सहाय का हमेशा विरोध रहा। इस कविता-संग्रह की रचनाओं के माध्यम से कवि एक ऐसे व्यापक संसार में प्रवेश करता है जहाँ भीड़ का जंगल है जिसमें कवि ख़ुद को खो देना भी चाहता है तो पा लेना भी। वह नाचता नहीं ! चीख़ता नहीं ! बयान भी नहीं रकता। वह इस जंगल में फँसा हुआ है लेकिन इस जंगल से निकलना उसे किसी राजनीतिक-सामाजिक शर्त पर स्वीकार्य नहीं।

इससे पहले कवि ने ‘सीढ़ियों पर धूप’ की कविताओं से ख़ुद के होने का अहसास जगाया था। इस संग्रह में वही अहसास कवि के सामने एक चुनौती बनकर खड़ा है। सच कहा जाए तो साठोत्तरी कविताएँ जिन कविताओं से धन्य र्हुइं उनमें रघुवीर सहाय की ये कविताएँ शामिल हैं। ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ रघुवीर सहाय की कविताओं का एक बड़ा प्रस्थान बिन्दू है। इसमें संकलित कविताएँ इस बात का प्रमाण हैं कि कवि ने एक व्यापकतर संसार में प्रवेश किया है। भीड़ के जंगल से निकलने की जद्दोजहद और छटपटाहट की सनद बन गई हैं – संग्रह की कविताएँ।

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Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

Language

Hindi

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