Abhayadaata Hanuman

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Abhayadaata Hanuman

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Author: Sunil Gombar

Availability: 4 in stock

Pages: 115

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788181891709

Language: Sanskrit & Hindi

Publisher: J. B. CHARITABLE TRUST

Description

अभयदाता हनुमान

आमुख

उद्यदादित्य संकाशमुदार भुज विक्रमम्‌।

कंदर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदाम्‌।।

श्री राम हृदयानन्दं भक्तकल्प महीरुहम्‌।

अभयं वरदं दोर्भ्यां कलये मारुतात्मजम्‌।।

भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की यह स्पष्ट घोषणा ही रहती आयी है कि जन्म-मरण रूपी संसार में नाना प्रकार के क्लेशों एवं समस्त शोकों का मूल कारक ही है – अभिमान-अहंकार। इसी के मूल से उत्पन्न होते हैं – लोभ-मोह मद मत्सर जैसे सांसारिक दुर्गुण॥

“संसृत मूल सूलप्रद नाना। सकल सोक दायक अभिमाना।”

उपरोक्त दुर्गुण व्याधियाँ बनकर तमाम समस्याओं का कारण बनते हैं। प्रवृत्ति में इन्हीं की प्रधानता और कलिकाल के दुष्प्रभाव दोनों से अनेकों संकटों समस्याओं, बाधाओं यथा रोगों और शोकों से संत्रस्त मानव जीवन स्वयं को अंधकार में भटकता अनुभूत करता – विलाप करता सा ही पा रहा है। ऐसे में सुख-शांति समाधान, आनंद की खोज में प्रत्येक प्रभु शरण की ही कामना प्रार्थना करता आकुल दिखता है, वही जब प्रभु की सामर्थ्य शक्ति – भक्ति और ज्ञान रूपी स्वरूप में जब स्वयं ही हमारे चारों ओर सूक्ष्म और स्थूल रूप में स्थान-स्थान पर सिंदूरी विग्रह में समाहित हो तो भला विचलित होने – भयग्रस्त होने का प्रश्न ही कहाँ – एकमात्र शरण – एकमात्र शरण – एकमात्र अभयदाता वह मंगल मूरत हैं – “अभयदाता श्री हनुमान जी!” जो कल्याण और कृपा की ही साक्षात्‌ मूरत हैं। कलिकाल ही नहीं चारों युगों तक सशरीर इसी प्रथ्वी लोक पर “राम” नाम अनुरागी आप इस धरा धाम पर राम भक्तों के ‘रामकाज’ हेतु विद्यमान ही हैं – वहीं नाम ही है हनुमान अर्थात्‌ कैसे भी कर्ता-कर्म या कर्तव्य के अभिमान से आप सर्वथा मुक्त ही हैं। मात्र ‘राम’ नाम – श्रवण राम कथा श्रवण ही उनका मूल शक्ति स्रोत है – उनका संकटमोचक स्वरूप तो सदैव ही भक्तों की प्रत्येक कामना पूर्ण करने – कैसे भी दुर्गम संकट – शोक को नष्ट करने को सदैव तत्पर हैं। अपने प्रभु की सी ही प्रभुता – शरणागत की रक्षा कर आप सदा ही अभय प्रदान करने वाले ‘अभयदाता’ ही हैं। श्री राम स्वयं उन्हें अपने भक्तों की रक्षा करने-संकट हरने – सुख आनंद प्रदान करने का दायित्व प्रदान कर गये हैं। इन प्रवृत्तियों के नकारात्मक होते जाते काल में भी श्री हनुमान जी ही हम सभी के एकमात्र सहारे हैं यह विश्वास – यह अखण्ड आस्था और श्री हनुमत्‌ चरणों की शरण सदैव ही प्रभु राम का कृपामात्र हमें बनाती अभय प्रदान करती आयी है। तुलसी श्री स्वयं सिद्ध ‘चालीसा’ में संपूर्ण हनुमत्‌ विग्रह – कल्याण शक्ति को ही समाहित कर गये हैं – ‘संकट ते हनुमान छुड़ावें’ – मन क्रम वचन ध्यान जो लावैं”।

तो मात्र तन-मन-धन से श्री अभयदाता के शरणागतों को तो सदा ही अलौकिक दिव्य हनुमत्‌ चेतना का कृपा प्रसाद – अभय और कल्याण प्राप्त होता ही आया है। प्रस्तुत पुस्तक उन्हीं श्री हनुमान जी – जो हम सभी के अभयदाता हैं, के श्री चरणों में मंगलकामना से आकांक्षी बन प्रस्तुत करते हम स्वयं को धन्य ही मानते हैं कि श्री रामदूत ने ऐसी सत्प्रेरणा प्रदान की।

सुधी पाठक – हनुमत्‌ चरित की इस पुस्तक से लाभ उठायें – अभयदाता की कृपा प्राप्त करें – इसी मनोकामना से हम अभयदाता श्री हनुमान जी से सदा ही करबद्ध विनतीरत्‌ हैं – अभयदाता ही आपके हमारे आराध्य हैं – रक्षक हैं, स्वामी हैं।

नासै रोग हरे सब पीरा – जपत निरंतर हनुमत बीरा

की प्रेरणा हमें निरंतर सर्वकल्याण और हनुमत्‌ शरण की ही शुभ अभिलाषा से संप्रक्त रखें – हम इसी भाँति आप सभी की – और प्रभु हनुमान जी की सेवा में रत रहें।

इसी मंगल आकांक्षा के साथ

हनुमत् कृपा से – हनुमत सेवा में

आपका

सुनील गोम्बर

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Sanskrit & Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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