Andhe Ki Lathi

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Author: Gurudutt

Availability: 9 in stock

Pages: 202

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788195405213

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

अंधे की लाठी

प्रथम परिच्छेद

बर्लिन के पूर्व-उत्तर में एक छोटा सा नगर है। नाम है पोमिरेनियन। इस नगर की एक सराय के ‘मुख्य हाल’ में चार व्यक्ति बातें कर रहे थे। वास्तव में वे उस दिन के समाचार पर चिन्ता व्यक्त कर रहे थे। उनमें से एक का कहना था, ‘जर्मनी पुनः विस्मार्क से पहली अवस्था में हो जायेगा। इसके छोटे-छोटे कई देश बन जायेंगे। सब देशों को बाँधने वाली शक्ति समाप्त हो गई है।’

बैठे हुए अन्य लोग भी इस सच्चाई को अनुभव करते थे। उस दिन के समाचार-पत्र में यह समाचार छपा था कि केसर, सम्राट्‌ पद से त्याग-पत्र दे जर्मनी को छोड़कर हॉलैण्ड चला गया है।

‘हमें आशा करनी चाहिये कि देश में ‘रिपब्लिक’ स्थापित हो जायेगा तो स्वेच्छा से देश के सब प्रान्त इकट्ठे रहने के लिये तैयार हो जायेंगे।’ एक अन्य का कहना था।

पहले व्यक्ति ने कहा, ‘प्रजातन्त्र में वह उन्नति नहीं हो सकती जो एक बुद्धिशील राजा के राज्य में हो सकती है। प्रजातन्त्र में सबका ध्यान मत प्राप्त करने में लगा रहता है। ‘रीख’ * के सदस्यों का पूर्ण समय और शक्ति मतदाताओं को प्रसन्न करने में लगी रहती है। वे भला देश तथा जाति का सामूहिक हित क्या करेंगे ? विचार करने वाला मस्तिष्क होता है। यह शरीर का एक छोटा सा अंग होता है। सबसे बड़ा पेट और उससे छोटा अंग हाथ तथा टाँगें होती हैं। हाथ तो टांगों से भी छोटे होते हैं। यहाँ, मेरा अभिप्राय है प्रजातन्त्र में, सब मस्तिष्क ही मस्तिष्क हैं और एक-एक कोषाणु वाले जन्तु की भाँति प्रत्येक अंग को सब काम करने हैं। ऐसा जन्तु उन्‍नति नहीं कर सकता। वह पिछड़ा ही रहेगा।’

(*जर्मनी की संसद)

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2021

Pulisher

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