Aryagatha

-20%

Aryagatha

Aryagatha

299.00 239.00

In stock

299.00 239.00

Author: Virendra Sarang

Availability: 5 in stock

Pages: 288

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9789387462526

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

आर्यगाथा

वीरेन्द्र सारंग का यह उपन्यास ‘आर्यगाथाआर्य-अनार्य संघर्ष का एक यथार्थपरक विश्लेषण है। यह एक तरह से संस्कृति-गाथा है जिसमें आर्य और मूल निवासी अनार्यों की परम्पराओं और प्रतीकों को एक नए नजरिये से देखने की कोशिश साफ देखी जा सकती है। पारम्परिक रामकथा के जरिये कथा का विन्यास बुना गया है, लेकिन यह महज रामकथा नहीं है। यह देव-दानव, आर्य-अनार्य, राक्षस संस्कृति का एक विराट रूपक है जिसे वैज्ञानिक स्तर पर समझने की कोशिश की गई है। रामकथा के मिथकीय अंशों को छोडक़र यह बताया गया है कि कैसे आर्य संस्कृति और राम की विजय सम्भव हुई। आर्यों के पास शब्द-संस्कृति थी और अनार्यों के पास अपनी मानवीय परम्पराएँ और शिल्प कौशल। रावण अनार्यों को एकजुट करके रक्ष-संस्कृति की स्थापना करता है। आर्य उसकी विस्तारवादी नीति से भयभीत हैं और एक महानायक की तलाश कर रहे हैं। अगस्त्य इसके लिए अनार्य हनुमान को तैयार करते हैं और उधर विश्वामित्र राम को। अगस्त्य और विश्वामित्र के प्रयासों से अनार्य हनुमान और राम का मिलन सम्भव होता है।

यह कथा रुझान को परखने, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक, पिंडों की स्थापना जैसेलिंग पिंड, कुबेर पिंड, देवी पिंड आदि की कथा है। यहाँ रूप-कुरूप पर नई बहस है तो पहचान-प्रतीक जैसेपगड़ी, पूँछ, उत्तरीय, सींग, मुकुट पर खासा विमर्श भी। राम नाम सत्य हैकी स्थापना और उसका प्रारम्भ तो आश्चर्यचकित करता है। शिव अनार्यों के इष्ट हैं, वे आयुधों के निर्माता हैं, लेकिन निर्लिप्त। आर्य-अनार्य, देव-दानव सभी उनसे आयुध लेते हैं। धीरे-धीरे आर्य-अनार्य मिश्रण के परिणाम स्वरूप शिव सभी के उपास्य हो जाते हैं। यह दो संस्कृतियों की मिलन-गाथा है जो रावण के विनाश से एक आयाम ग्रहण करती है। यहाँ तथ्य हैं तो कल्पना का भी भरपूर प्रयोग किया गया है। कुल मिलाकर एक पठनीय और दिलचस्प उपन्यास है—‘आर्यगाथा।

शशिभूषण द्विवेदी

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Aryagatha”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!