Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Gujrati Bhasha

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Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha : Gujrati Bhasha

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395.00 345.00

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Author: DR.Tribhuvan Rai

Availability: 5 in stock

Pages: 252

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9789352290543

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

भारतीय भाषाओं में रामकथा – गुजराती

भारतीय संस्कृति के विभाजन को केन्द्र में रखते हुए भारतीय भाषाओं एवं राज्यों को पृथक्-पृथक् खंडों में बाँटने वाले विदेशी राजतन्त्रों के कारण भारत बराबर टूटते हुए भी, अपने सांस्कृतिक सन्दर्भों के कारण, अब भी एक सूत्रा में बँधा है। एकता के सूत्रा में बाँधने वाले सन्दर्भों में राम, कृष्ण, शिव आदि के सन्दर्भ अक्षय हैं। भारतीय संस्कृति अपने आदिकाल से ही राममयी लोकमयता की पारस्परिक उदारता से जुड़ी सम्पूर्ण देश, उसके विविध प्रदेशों एवं उनकी लोक व्यवहार की भाषाओं में लोकाचरण एवं सम्बद्ध क्रियाकलापों से अनिवार्यतः हजारों-हजारों वर्षों से एकमेव रही है। सम्पूर्ण भारत तथा उसकी समन्वयी चेतना से पूर्णतः जुड़ी इस भारतीय अस्मिता को पुनः भारतीयों के सामने रखना और इसका बोध कराना कि पश्चिमी सभ्यता के विविध रूपों से आक्रान्त हम भारतीय अपनी अस्मिता से अपने को पुनः अलंकृत करें।

भारतीय भाषाओं में रामकथा को जन-जन तक पहुँचाने का यह हमारा विनम्र प्रयास है। गुजराती में रामकथा की साहित्यिक परम्परा के साथ उसकी एक पुष्ट मौखिक परम्परा भी रही है। यह परम्परा जहाँ जनसाधारण और आदिवासी समाज के बीच परम्परा प्रवाह के रूप में प्राप्त होती है, वहीं रामकथा के विद्वान प्रवचनकारों के माध्यम से भी सुलभ है। आधुनिक काल के प्रभावशाली प्रवचनकारों में अहमदाबाद के निकट सोला में भागवत विद्यापीठ के संस्थापक श्री कृष्णशंकर शास्त्री, बड़ौदा के श्री रामचन्द्र केशव डोंगरे महाराज, रोहा के श्री पांडुरंग बैजनाथ आठवले, महुआ के श्री मोरारी बापू और खेड़ा जिला के दंताली आश्रम के स्वामी श्री सच्चिदानन्दजी महाराज उल्लेखनीय हैं। सौभाग्य से इनके प्रवचनों के संकलन भी सम्पादित एवं प्रकाशित रूप में उपलब्ध हैं। अतएव रामकथा में रुचि रखने वाले वर्तमान पाठकों के साथ भविष्य के पाठक भी इनका लाभ उठा सकते हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

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