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Mansik Shanti Tatha Sadhana Se Aatmik Anand
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मानसिक शान्ति तथा साधना से आत्मिक आनंद
मनुष्य सर्वप्रथम भौतिक सुख की चाह करता है और इसकी पूर्ति पर वह मानसिक शान्ति चाहता है। शान्ति की अनुभूति अशान्ति के कारण होती है इसलिए सुख को जानने के लिए दुख को जानना पड़ेगा। दुःख मन की अनुभूति है। मन की रचना अज्ञान से हुई है वह अज्ञानवश जो कर्म करता है वही उसके दुःख का कारण बनता है। ज्ञान के बिना शान्ति की आशा करना मृगमरीचिका के समान मिथ्या है। अज्ञानवश ही मनुष्य को भ्रम हो गया है कि सांसारिक पदार्थ और परिवार उसे सुख दे सकता है जिनके पास यह सब कुछ भी है वे भी दुःखी हैं तो इसका अर्थ है कि सुख कहीं अन्यत्र है।
अन्यत्र कहाँ ? यहीं से ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा करके हम मानसिक शान्ति की ओर बढ़ चलें, इसी भावना से यह पुस्तक आपके लिए लिखी गई है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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