Bheed Mein Khoya Hua Samaj

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Bheed Mein Khoya Hua Samaj

Bheed Mein Khoya Hua Samaj

450.00 380.00

In stock

450.00 380.00

Author: Manohar Shyam Joshi

Availability: 5 in stock

Pages: 170

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350005002

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

भीड़ में खोया हुआ समाज

मनोहर श्याम जोशी लिखित सम्पादकीय आलेखों (जनवरी 1969 से मार्च 1971) का यह दूसरा खण्ड है। बरास्ता सहायक सम्पादक ‘साप्ताहिक दिनमान’ वह सम्पादक ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ की कुर्सी तक पहुँचे थे और जिस तरह पहँचे, सक्रिय पत्रकारिता वाले उनके जीवन के उस दौर को जानने-समझने, आकलन, विश्लेषण के सन्दर्भ में संक्षिप्ततः वह सारा कुछ इकट्ठे शायद आश्चर्यों भरा, दिलचस्प एवं जरूरी नजर आये। तो प्रसंग का प्रारम्भ सन् 1964 की अन्तिम तिमाही से करते हैं। सन् 1964 की अन्तिम तिमाही के शुरुआती महीने-अक्टूबर-का पहला-दूसरा सप्ताह रहा होगा। हिन्दी समाचार ‘साप्ताहिक दिनमान’ के प्रकाशन की योजना अपने अन्तिम चरण में चल रही थी। पत्रिका के प्रस्तावित सम्पादक अज्ञेय के सहयोगी के रूप में रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना एवं श्रीकांत वर्मा के नाम तय हो चुके थे। मगर चूँकि ये तीनों के तीनों मूलतः कवि थे। लिहाजा अज्ञेय को एक ऐसे समर्थ गद्यकार की तलाश थी जो बहुपठित-बहुविषयविद् तो हो ही, उन द्वारा सुझाये देशी-विदेशी किसी भी विषय पर आनन-फानन वस्तुपरक आलेख एवं टिप्पणियाँ तैयार कर पाने की क्षमता रखता हो। तो प्रसंग यह रहा कि उन्हीं दिनों टाइम्स ऑफ़ इण्डिया प्रकाशन से कुछ लोग नेफा के दौरे पर गये थे और काफ़ी तस्वीरों के साथ प्रकाशन योग्य सामग्री बटोर लाये थे।

डॉ. भारती चाहते थे कि अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘इलस्ट्रेटेड वीकली’ से पहले धर्मयुग का अंक बाजार में आ जाए। मगर सवाल था कि रातोंरात बैठकर इतनी सारी सामग्री तैयार कौन करेगा ? डॉ. भारती की तरफ़ से ऑफर जोशी जी तक पहुँचा, जो तब भारतीय सूचना सेवा के दर्ज़ा वन पदाधिकारी थे। अपने ऑफिस से उन्होंने दो दिनों की छुट्टी ली और कवर-स्टोरी के अलावा एक और रचना को छोड़ बाकी पूरे-के-पूरे अंक की सामग्री लिख-लिखाकर छुट्टी।

– भूमिका से

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

Language

Hindi

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