Dalit Kavita : Samkaleen Paridrashya
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दलित कविता : समकालीन परिदृश्य
हिन्दी दलित साहित्य आज एक मजबूत जमीन पर खड़ा है। यहाँ तक पहुँचने में उसने एक लंबी दूरी तय की है। इस दौरान बहुत सी उपलब्धियां और आयाम दलित साहित्य और साहित्यकारों ने हासिल किए हैं। वैदिक-पौराणिक काल से लेकर आधुनिक काल के प्रश्नों तक और वैचारिकी से लेकर कला तक, शालीनता से लेकर आक्रोश तक, अनेक प्रकार की विविधताएँ दलित साहित्य में देखी जा सकती हैं। चर्चित या नामचीन लेखकों की रचनाओं से दलित साहित्य का पाठक वर्ग परिचित रहा है। बहुत से अचर्चित और अनजान लेखकों ने भी महत्वपूर्ण काव्य रचनाओं का सृजन किया है। इस पुस्तक में कनिष्ठ/वरिष्ठ, चर्चित/अचर्चित सभी प्रकार के कवियों की रचनाओं पर सम्यक टिप्पणी करने की कोशिश की गई है, जिनके माध्यम से दलित साहित्य के विकास के साथ-साथ उसके द्वंद्व, समस्या, चुनौतियों और संभावनाओं को समझा जा सकता है। संभव है साहित्य के बहुत से पाठक इनमें से बहुत सी काव्य-पुस्तकों को न पढ़ सके हों और उनसे परिचित भी नहों, इस पुस्तक के माध्यम से वे उन पुस्तकों से भी परिचित हो सकेंगे और दलित कविता के समकालीन परिदृश्य से भी और अच्छी तरह से परिचित हो सकेंगे।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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