Dantkatha

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295.00 225.00

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Author: Abdul Bismillah

Availability: 5 in stock

Pages: 87

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388933193

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

दंतकथा

बहुचर्चित कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह की कलम से लिखा गया यह एक अद्भुत उपन्यास है। अद्भुत इस अर्थ में कि इसकी समूची संरचना उपन्यास के प्रचलित मुहावरे से एकदम अलग है। इसमें मनुष्य की कहानी है या मुर्गे की अथवा दोनों की, यह जिज्ञासा लगातार महसूस होती है, हालाँकि यह न तो फंतासी है, न कोई प्रतीक-कथा। कथा-नायक है एक मुर्गा, जो मनुष्य की हत्यारी नीयत को भांपकर अपनी प्राण-रक्षा के लिए एक नाबदान में घुस जाता है। लेकिन हुआ क्या ? यह तो अब नाबदान से भी बाहर निकलना मुश्किल है। ऐसे में वह लगातार सोचता है : अपने बारे में, अपनी जाति के बारे में। और सिर्फ सोचता ही नहीं, दम घोंट देनेवाले उस माहौल से बाहर निकालें के लिए जूझता भी है। लगातार लड़ता है भूख और चरों और मंडराती मौत से, क्योकि वह जिन्दा रहना चाहता है और चाहता है कि मृत्यु भी अगर हो तो स्वाभाविक, मनुष्य के हाथों हलाल होकर नहीं।

इस प्रकार यह उपन्यास नाबदान में फंसे एक मुर्गे के बहाने पूरी धरती पर व्याप्त भय, असुरक्षा और आतंक तथा इनके बीच जीवन-संघर्ष करते प्राणी की स्थिति का बेजोड़ शब्दचित्र प्रस्तुत करता है। लेकिन मनुष्य और मुर्गे के अन्तःसंबंधो की व्याख्या-भर नहीं है यह, बल्कि मुर्गो-मुर्गियों का रहन-सहन, उनकी आदतें, उनके प्रेम-प्रसंग, उनकी आकांक्षाए, यानी सम्पूर्ण जीवन-पद्धति यहाँ पेन्ट हुई है। शायद यही कारन है कि दंतकथामें हर वर्ग का पाठक अपने-अपने ढंग से कथारस और मूल्यों की तलाश कर सकता है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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