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Description
दो गज जमीन
वोटों की कीमत और इज़्जत उसी समय तक है, जब तक अपने मुल्क में जम्हूरियत है। इसके लिए हमें गाँधी, नेहरू और आजाद का मशकूर होना चाहिए वर्ना हालात दूसरे भी हो सकते थे। अब देखो ना पाकिस्तान, हिंदुस्तान से उम्र में चौबीस घंटा बड़ा है, सीनियर है, वहाँ मुश्किलें भी नहीं जो यहाँ हैं, फिर भी वहाँ आदमियों की कोई इज़्ज़त और वक़त नहीं, उनकी वहाँ कोई पूछ नहीं-ये जो वोट है ना मियाँ, तो यह तराजू के पलड़े में जमा होकर इंसान का वज़न बढ़ाता है, वर्ना आज की दुनिया में कौन किसे पूछता है।’’
(इसी उपन्यास से)
दो ग़ज़ ज़मीन उपन्यास 1970 में देश विभाजन के मुद्दे को लेकर लिखा गया है। इसकी पृष्ठभूमि बांगला देश और पाकिस्तान की है जो भारतीय उप-महाद्वीप के विशाल जन-समुदाय के एक वर्ग के जीवन और उनकी निष्ठा के जटिल मुद्दे का विश्लेषण करती है। अपने चरित्र-चित्रण, प्रांजल शैली और समस्याओं के प्रभावी अंकन के लिए यह उपन्यास विशेष रूप से उल्लेखनीय है। संवेदनशील चित्रण के लिए यह उपन्यास उर्दू में लिखे गए भारतीय साहित्य को एक विशिष्ट योगदान माना गया है। महाद्वीप के विशाल जन-समुदाय के एक वर्ग के जीवन और उनकी निष्ठा के जटिल मुद्दे का विश्लेषण करती है। अपने चरित्र-चित्रण, प्रांजल शैली और समस्याओं के प्रभावी अंकन के लिए यह उपन्यास विशेष रूप से उल्लेखनीय है। संवेदनशील चित्रण के लिए यह उपन्यास उर्दू में लिखे गए भारतीय साहित्य को एक विशिष्ट योगदान माना गया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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