Doosare Natyashashtra Ki Khoj

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295.00 250.00

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Author: Devendra Raj Ankur

Availability: 5 in stock

Pages: 252

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9789390678075

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

दूसरे नाट्यशास्त्रा की खोज

‘दूसरे नाट्यशास्त्रा की खोज’ प्रसिद्ध रंगकर्मी तथा नाट्यशास्त्रा के अध्येता देवेन्द्र राज अंकुर के गहरे चिन्तन-मनन तथा दीर्घ अनुभव का परिणाम है। भरत मुनि के ‘नाट्यशास्त्रा’ की चर्चा तो लगातार होती रही है, परन्तु न तो ऐतिहासिक महत्त्व की इस अद्भुत कृति का अच्छा अनुवाद उपलब्ध रहा है, न उसकी कोई ऐसी व्याख्या जो विद्वानों तथा छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी हो। एक और समस्या यह थी कि ‘नाट्यशास्त्रा’ पर ज्श्यादातर विचार सैद्धान्तिक स्तर पर ही हुआ है और नाट्य मंचन की व्यावहारिक आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है। अंकुर की इस सुविचारित कृति की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह न केवल भरत मुनि के लगभग सभी प्रतिपादनों की विस्तृत व्याख्या करते हैं, बल्कि इस प्रक्रिया में नाट्यशास्त्रा के एक नए, समकालीन और आधुनिक विमर्श की खोज का शास्त्रा भी विकसित करते चलते हैं। इस तरह, यह भरत मुनि के अद्वितीय योगदान को समझने की कोशिश भी है और उससे एक लम्बी और रचनात्मक जिरह भी।

गौरतलब है कि इस जिरह के दौरान लोकधर्मी रंग परम्परा और उसकी विशिष्टता तथा पश्चिमी चिन्तकों की नाट्य दृष्टि का तुलनात्मक विवेचन दूसरे नाट्यशास्त्रा की खोज की ठोस भूमिका तैयार करता है। लेखक ने प्रेक्षागृह और पूर्वरंग से शुरू कर पात्रा चयन तथा संवाद रूढ़ियाँ आदि सभी पक्षों का मौलिक विश्लेषण करते हुए तीन कालजयी नाटकों – अभिज्ञानशाकुन्तलम, मृच्छकटिक और स्वप्नवासवदत्ता की रंग सम्भावनाओं की समीक्षा भी की है, ताकि सिद्धान्त और मंच अभिव्यक्ति के बीच समन्वय स्थापित किया जा सके।

देवेन्द्र राज अंकुर की विद्वत्ता, अध्ययन, अनुभव, विश्लेषण दृष्टि तथा सरल-सरस शैली को देखते हुए बिना किसी संकोच के कहा जा सकता है कि यह पुस्तक नाट्यशास्त्रा को पढ़ने और पढ़ाने वालों तथा रंग जगत से जुड़े सभी वर्गों के लिए अत्यन्त उपयोगी होगी।

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Paperback

Language

Hindi

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Publishing Year

2021

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