Griha Dosh Kaaran Evam Nivaran

Sale

Griha Dosh Kaaran Evam Nivaran

Griha Dosh Kaaran Evam Nivaran

400.00 399.00

In stock

400.00 399.00

Author: Shukdev Chaturvedi

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788177273137

Language: Hindi

Publisher: Indica Publishers

Description

ग्रहदोष कारण एवं निवारण

दो शब्द

वैदिक ज्योतिष क्‍या है ? इस प्रश्न का तथ्यपूर्ण एवं संक्षिप्त उत्तर इस प्रकार है – “वैदिककाल से लेकर आज तक मानव जीवन के घटनाक्रम को कर्म एवं काल के परिप्रेक्ष्य में जानने, पहचानने और पूर्वानुमान करने के लिए हमारे महर्षियों एवं मनीषी आचार्यों ने जिन-जिन सिद्धान्तों एवं नियमों को आविस्कृत एवं विकसित किया, उनके समग्र संकलन को वैदिक ज्योतिष या ज्योतिष शास्त्र कहते हैं।

यह एक ऐसी विद्या है, जिसके द्वारा मनुष्य के जीवन में कब-कब कहां-कहां और क्या-क्या अच्छा या बुरा घटित होने वाला है ? इसको पहले से जाना और पूर्वानुमान किया जा सकता है। यह शास्त्र न केवल मानव जीवन में आने वाले सुख-दु:खों या समस्या एवं संकटों का पूर्वानुमान करने में ही हमारी सहायता करता है, अपितु यह जीवन में आने वाले सभी अरिष्टों एवं अनिष्टों से हमारा बचाव करने की रीति बतलाकर मानव जाति की सही अर्थों में सहायता करता है।

इस शास्त्र में मनुष्य को अपने जीवन काल में कौन-कौन सा सुख या दुःख मिलेगा ? इसका ज्ञान उसकी जन्मकुण्डली के योगों द्वारा किया जाता है और जीवन में मिलने वाले दु:खों एवं कष्टों की निवृत्ति के लिए यह शास्त्र मन्त्र, रत्न, औषधि, दान एवं स्नान – इन पांच उपायों को बतलाता है, जिनमें मन्त्र-दुःखों की निवृत्ति एवं ग्रह शान्ति का सबसे विश्वसनीय साधन माना जाता है।

मन्त्र साधना में तीन बातें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं –

  1. एकाग्रता
  2. निरन्तरता
  3. कुशलता

क्‍योंकि इनके बिना मन्त्र साधना हो ही नहीं सकती। इनमें से एकाग्रता का उदय श्रद्धा से होता है। जब प्रेम में समर्पण मिलता है, तब श्रद्धा बनती है। इस श्रद्धा के आते ही मन अपने आप उसी प्रकार एकाग्र हो जाता है, जैसे दूध में दही का जामन लगाने से वह दही के रूप में जम जाता है। साधना में निरन्तरता को बनाये रखने का काम करती है-निष्ठा। अपने ऊपर और अपने प्रभु के ऊपर अटूट विश्वास को निष्ठा कहते हैं। इसके आते ही साधक के मन से भय, भ्रान्ति एवं शंका आदि वैसे ही तिरोहित हो जाते हैं, जैसे सूर्योदय के होते ही अन्धेरा तिरोहित हो जाता है। मन्त्र साधना में तीसरी और सबसे बड़ी चीज है-कुशलता, जो इसके विधि-विधानों की जानकारी से मिलती है। इसके लिए साधक का जिज्ञासु स्वभाव होना आवश्यक है। क्योंकि उसकी यही जिज्ञासा “जिन खोजा तिन पाइयां” के अनुसार उसको इसके विधि विधान की जानकारी करा देती है।

इस विषय में कुछ लोगों का मत है कि मन्त्र एवं मन्त्र साधना की विधियों को गोपनीय रखना चाहिए और इस विद्या को हर किसी को नहीं बतलाना चाहिए। इस सन्दर्भ प्रचलित “गोपनीयं गोपनीयं गोपनीय प्रचलतः” इस शास्त्र वचन का परम्परागत अर्थ है कि इस विद्या को श्रद्धा रहित निष्ठा रहित एवं अकुशल व्यक्ति से गोपनीय रखना चाहिए। किन्तु जिस व्यक्ति में श्रद्धा, निष्ठा एवं जिज्ञासा है, उसको यह शास्त्र एवं इसका विधि विधान बतलाने में न तो कोई शंका है और न ही किसी प्रकार का निषेध। वस्तुतः श्रद्धा रहित, निष्ठा रहित एवं जिज्ञासा रहित व्यक्ति इस शास्त्र को बार-बार पढ़कर भी इसका लाभ नहीं उठा सकता। क्‍योंकि पात्रता न होने पर विद्या फलती नहीं है। किन्तु जिस व्यक्ति में इसकी पात्रता है उनको इसकी जानकारी कराना-उनको उनकी धरोहर सौंपने के समान है। इसी भावना से प्रेरित होकर मैं इसके अध्ययन एवं शोध में प्रवृत्त हुआ और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्‍ली के पुनश्चर्या पाठयक्रम (रिफ्रेशर कोर्स) के पाठ्य ग्रन्थ के रूप में लिखित यह पुस्तक अपने श्रद्धावान निष्ठावान एवं प्रबुद्ध पाठकों के हाथों में सौंपते हुए कृतकृत्य भाव का अनुभव कर रहा हूँ।

“ग्रहदोष कारण एवं निवारण” शीर्षक से प्रस्तुत इस पुस्तक में रोग, शोक, भय, उपसर्गबाधा, सन्ततिबाधा, विवाहबाधा, दरिद्रता एवं शिक्षा तथा व्यवसाय में रुकावटें आदि के कारणों का निर्धारण जन्म कुण्डली के योगों द्वारा तथा उनका निवारण ग्रह शान्ति के मन्त्रों के साथ-साथ देवताओं के मन्त्रों के अनुष्ठान के द्वारा बतलाया गया है।

मन्त्र साधना के विधि विधानों को हृदयंगम करने के लिए इस ग्रन्थ में भक्ति, शुद्धि, पंचाग सेवन, आचार, धारणा, ध्यान, दिव्य देश सेवन, प्राण क्रिया, मुद्रा, हवन, बलि, याग, जप एवं समाधि आदि साधना के अंगों का वर्णन एवं विवेचन पूर्वक मन्त्रानुष्ठान एवं पुरश्चरण के नियमों को सरल तरीके से समझाया गया है। साथ ही साथ अनिष्ट ग्रहों की शान्ति के लिए उनके मन्त्रों का अनुष्ठान और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए कामना भेद से विविध देवी-देवताओं के मन्त्रों के अनुष्ठान की विधियां बतलायी गयी हैं। इस प्रकार प्रतिकूल ग्रहों की शान्ति के साथ-साथ अपनी मनोकामना  की पूर्ति के लिए किस मन्त्र का किस विधि से कैसे अनुष्ठान करना चाहिए ? इन सभी जीवनोपयोगी प्रश्नों का इस ग्रन्थ में विचार किया है। रिमेडियल एस्ट्रोलाजी पर यह एक अनूठा प्रयास है। आशा है, यह ज्योतिष के विद्वानों, छात्रों एवं जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से पठनीय एवं संग्रहणीय होगा।

 

विषय- प्रवेश

  • हमारा जीवन
  • समस्या एवं संकटों के समाधान की आधुनिक विधियाँ
  • दुःखों के कारण
  • कारणों की विवेचना
  • दुःखों के कारण निर्धारण एवं निवारण में ज्योतिष की भूमिका
  • फल और उसके भेद
  • जीवन की समस्याओं का कारण और उसका निर्धारण
  • जीवन की समस्या एवं संकटो का निवारण
  • ग्रह चिकित्सा का सबसे विश्वनीय साधन मन्त्र
  • मन्त्र साधना की विधि
  • साधनाविधि के सोलह अंग
  • ग्रह शांति
  1. ग्रहों का ध्यान
  2. ग्रहों के मन्त्र
  3. सूर्य के मन्त्र
  4. चन्द्रमा के मन्त्र
  5. मंगल के मन्त्र
  6. बुध के मन्त्र
  7. गुरु के मन्त्र
  8. शुक्र के मन्त्र
  9. शनि के मन्त्र
  10. राहु के मन्त्र
  11. केतु के मन्त्र
  • दैवी साधना
  • पुरश्चरण के नियम
  • ग्रहण-पुनश्चरण
  • श्री गणेश
  1. श्रीगणेश मन्त्र
  2. शक्ति विनायक मन्त्र
  3. लक्ष्मी विनायक मन्त्र
  4. सिद्धि विनयाक मन्त्र
  5. सर्वसिद्धिदायक मन्त्र
  6. श्री गणेश यन्त्र
  • दुर्गा
  1. दुर्गा पूजन यन्त्र
  • अरिष्ट या मृत्यु योग
  1. अल्पायु योग
  2. महामृत्युंजय पूजन-यन्त्र
  3. रोगी योग
  4. कुछ महत्वपूर्ण योग
  5. उपसर्ग एवं भयनाशक हनुमद मन्त्र
  6. हनुमत्पूजन-यन्त्र
  7. नपुंसक योग
  8. सन्तानहीन-योग
  9. बान्धय योग
  10. गर्भपात
  11. सन्तति बाधा एवं उसके कारण
  12. सन्तान गोपाल मन्त्र
  13. सन्तान गोपाल यन्त्र
  14. दरिद्री योग
  15. दरिद्रातानाशक रवि मन्त्र
  16. सूर्य पूजन यन्त्र
  17. सम्पन्नता के लिए कुबेर मन्त्र
  18. कुबेर यन्त्र
  19. कुबेर का अन्य मन्त्र
  20. लक्ष्मी मन्त्र
  21. लक्ष्मी यन्त्रम्
  22. महालक्ष्मी मन्त्र
  23. महागौरि मन्त्र
  24. मंगलागौरिमन्त्र
  25. वागीश्वरी (सरस्वती) मन्त्र
  26. वागीश्वरी यन्त्रम्
  27. महासरस्वती मन्त्रत्र
  28. कार्तवीर्य मन्त्र
  29. कार्तवीर्यार्जुनका पूजन-यन्त्र
  30. गोपाल मन्त्र
  31. गोपाल पूजन-यन्त्र
  32. द्वादशाक्षर मन्त्र
  33. उपसर्गनाशक नृसिंह मन्त्र
  34. नृसिंह पूजन-यन्त्र

Additional information

Authors

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Griha Dosh Kaaran Evam Nivaran”

You've just added this product to the cart:

error: Content is protected !!