Hindi Rashtravad

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Hindi Rashtravad

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250.00 187.00

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Author: Alok Rai

Availability: 2 in stock

Pages: 200

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789390971657

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

हिन्दी राष्ट्रवाद

हिन्दी राष्ट्रवाद भारत की भाषाई राजनीति की एक चिंताकुल और सघन पड़ताल है, और यह पड़ताल होती है हिन्दी भाषा के मौजूदा स्वरूप तक आने के इतिहास के विश्लेषण के साथ।

जन की भाषा बनने की हिन्दी की तमाम क्षमताओं को स्वीकारते हुए किताब का ज़ोर यह समझने पर है कि वह हिन्दी जो अपनी अनेक बोलियों और उर्दू के साथ मिलकर इतनी रचनात्मक, सम्प्रेषणीय, गतिशीला और जनप्रिय होती थी, कैसे उच्च वर्ण हिन्दू समाज और सरकारी ठस्सपन के चलते इतनी औपचारिक और बनावटी हो गई कि तक़रीबन स्पन्दनहीन दिखाई पड़ती है! विशाल हिन्दीभाषी समुदाय की सृजनात्मक कल्पनाओं की वाहक बनने के बजाय वह संकीर्णताओं से क्यों घिर गयी! हिन्दुत्व की सवर्ण राजनीति की इसमें क्या भूमिका रही है, और स्वयं हिन्दीवालों ने अपनी कूपमंडूकता से उसमें क्या सहयोग किया है!

आज जब राष्ट्रवादी आग्रहों के और भी संकुचित और आक्रामक रूप हमारे सामने हैं, जिनमें भाषा के शुद्धिकरण की माँग भी बीच-बीच में सुनाई पड़ती है, इस विमर्श को पढ़ना, और हिन्दी के इतिहास की इस व्याख्या से गुज़रना ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है।

मूलत: अंग्रेज़ी में लिखित और बड़े पैमाने पर चर्चित इस किताब का यह अनुवाद स्वयं लेखक ने किया है, इसलिए स्वभावत: यह सिर्फ़ अनुवाद नहीं, मूल की पुनर्रचना है।

साथ ही पुस्तक में प्रस्तावित विमर्श की अहमियत को रेखांकित करने और उसे आज के संदर्भों से जोड़ने के मक़सद से समकालीन हिन्दी विद्वानों के दो आलेख भी शामिल किए गए है और लेखक से दो साक्षात्कार भी हैं जो इसके पाठकीय मूल्य को द्विगुणित कर देते हैं।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

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Publishing Year

2022

Pulisher

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