Hinduon ke Tirtha Sthan

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Hinduon ke Tirtha Sthan

Hinduon ke Tirtha Sthan

120.00 119.00

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120.00 119.00

Author: Yogeshwar Tripathi

Availability: 5 in stock

Pages: 188

Year: 2002

Binding: Hardbound

ISBN: 0000000000000

Language: Hindi

Publisher: Bhuvan Vani Trust

Description

हिन्दुओं के तीर्थ स्थान

उत्तरा खण्ड

मायापुरी हरिद्वार (पुरी-1)

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।

पुरीद्वारावती चैव सप्तेते मोक्षदायिकाः।।

1-अयोध्या, 2-मथुरा 3-माया-हरिद्वार, 4-काशी (वाराणसी,) 5-काञ्ची 6-अवन्तिका (उज्जैन) और 7-द्वारिका यो सात पुरियाँ मोक्ष देने वाली हैं।

 

स्वर्गद्वारेण तत्तुल्यां गंगाद्वारं न संशयः।

तत्राभिषेकं कुर्वोत कोटितीर्थे समाहिताः।।

इसमें सन्देह नहीं कि हरिद्वार स्वर्ग के द्वार के समान है। वहाँ कोटितीर्थ-ब्रह्मकुंड में एकाग्रचित से स्नान करे।

हरिद्वार में बहरवें वर्ष जब सूर्य-चन्द्र मेष तथा गुरु कुम्भारासि में होते हैं तो कुम्भ का मेला होता है। छठवें वर्ष अर्धकुम्भी मेला होता है।

उत्तर रेलवे का हरिद्वार प्रसिद्ध स्टेशन है। यहाँ ठहरने के लिये अनेक धर्मशालायें हैं। साधु-महात्माओं के आश्रम यहाँ बहुत हैं। उनमें भी यात्री ठहरते हैं।

1-ब्रह्मकुण्ड या हरकी पैड़ी—

स्नान करने का यह मुख्य स्थान है। राजा सश्वेत ने यहाँ तप करके ब्रह्माजी को प्रसन्न करके वरदान माँगा था—‘यहाँ शंकरजी तथा विष्णु भगवान् सब तीर्थों के साथ रहे हैं।’’

महायोगी भर्तृहरि ने भी यहीं तपस्या की अतः उनके भाई महाराज विक्रमादित्य ने यहाँ कुण्ड और सीढ़ियाँ (पौड़ियाँ) बनवाईं। इस कुण्ड में गंगाजल एक ओर से आकर दूसरी ओर निकल जाता है। धारा तेज है, पर जल कमर जितना ही है।

इस कुण्ड में श्रीहरि की चरणपादुका, मनसादेवी, साक्षीस्वर शिव तथा गंगाधर महादेव के मन्दिर हैं। सांयकाल यहाँ गंगाजी की आरती दर्शनीय होती है।

2-गऊघाट-

ब्रह्मकुण्ड से दक्षिण है। यहाँ गोहत्या के पाप से मुक्ति के लिये स्नान किया जाता है।

3-कुशावर्त घाट-

यहाँ दत्तात्रेय जी ने दस हजार वर्ष तप किया था।

4- रामघाट-

यहाँ श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक है।

5-विष्णुघाट-

यहाँ श्रीभगवान् विष्णु ने तप किया था।

6-गणेशघाट-

यहाँ श्री गणेशजी की विशाल मूर्ति है।

7-नारायणी शिला-

गणेश घाट से थोड़ी दूर पर नारायणी शिला है। इस पर पिण्डदान होता है।

8- श्रवणनाथ मन्दिर-

कुशावर्त के दक्षिण यह दर्शनीय मन्दिर है।

9-नीलेश्वर-

नहर पार करके जाने पर गंगाजी की नील धारा मिलती है। उसमें स्नान करके पर्वत पर नीलेश्वर महादेव के दर्शन का बडा माहात्म्य है।

10-कालीमन्दिर-

वहीं नीलधारा पार चण्डी पहाड़ी के मार्ग में कौल-सम्प्रदाय का काली मन्दिर है।

11-चण्डी देवी-

नील पर्वत के शिखर पर चण्डी देवी का मन्दिर है। यहाँ आने के लिये दो मील की कड़ी चढ़ाई पड़ती है। ऊपर जाने के दो मार्ग हैं। एक से जाकर दूसरे से उतरने पर सब मन्दिरों के दर्शन हो जाते हैं। इनमें गौरीशंकर, नीलेश्वर तथा नागेश्वर मुख्य हैं।

12-अंजनी देवी—

चण्डी मन्दिर के पास ही अंजनी देवी का मन्दिर है।

13- विल्केश्वर-

हरिद्वार स्टेशन से थोड़ी दूर पर पर्वत पर जाने का सुगम मार्ग है। ऊपर विल्वकेश्वर शिव मन्दिर है। ऊपर देवी–मन्दिर भी है।

14-भीमगोडा-

हरकी पैड़ी से आगे पहाड़ के नीचे सड़क के पास ही एक कुंड है। यहाँ कुछ मूर्तियाँ हैं। इस कुण्ड में स्नान का महत्त्व है।

15- चौबीस अवतार-

यह मन्दिर भीमगोडा से आगे है।

16-सप्तधारा-

इसे लोग सप्त सरोवर भी कहते हैं। यह भीमगोडा से एक मील आगे है। सप्तर्षियों ने यहाँ तपस्या की थी। अतः उनके लिये यहाँ गंगा जी सात धाराओं में बहीं। हाँ सप्तर्षि आश्रम और परमार्थआश्रम अच्छे दर्शनीय हैं।

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Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

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Publishing Year

2002

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