Ishvar Prapti Ke Shreshth Sadhana

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Ishvar Prapti Ke Shreshth Sadhana

Ishvar Prapti Ke Shreshth Sadhana

150.00 149.00

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Author: Nandlal Dashora

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Randhir Prakashan

Description

ईश्वर प्राप्ति की श्रेष्ठ साधनाब
गीता में सम्पूर्ण योग

धर्म की साधना में योग की मुख्य भूमिका है। योग का अर्थ है ईश्वर प्राप्ति। जब तक यह न हो तब तक धर्म का कोई औचित्य ही सिद्ध नहीं होता। मंजिल पर पहुँच जाना ही योग की सिद्धि है।

योग की सिद्धि के लिए गीता में दो निष्ठाएँ बताई गई हैं जिनमें एक है सांख्य अर्थात्‌ ज्ञान की विधि तथा दूसरी है कर्म की विधि। ज्ञान-योगी उस परमतत्त्व ब्रह्म को तत्त्व से जानकर योग को प्राप्त होता है तथा कर्म-योगी योग-साधना करके उस ईश्वर को प्राप्त होता है। इन

दोनों से भी उत्तम भक्तियोग की विधि है जिसमें ईश्वर के प्रति अपने को समर्पित किया जाता है। इन तीनों को विस्तार देते हुए गीता के अठारह अध्यायों में अठारह प्रकार के योग कहे गए हैं जिनकी साधना से व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त हो सकता है। संसार में बन्धन का कारण ईश्वर की यह मायाशक्ति प्रकृति है। अज्ञानवश इससे मोहित होकर इसी में रमण करते रहना ही बन्धन है तथा इससे मुक्‍त हो जाना ही मुक्ति है। प्रकृति के तीन गुण (सत्त्व, रज, तम) ही उसके बन्धन हैं। सभी व्यक्ति सभी प्रकार की साधना नहीं कर सकते इसलिए भिन्‍न-भिन्‍न रुचि वालों के लिए भिन्‍न-भिन्‍न साधनाएँ गीता में बताई गई हैं। जिसकी जैसी रुचि हो तथा जिसमें जिसकी श्रद्धा हो उसी को अपनाकर ईश्वर प्राप्ति की जा सकती है।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

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