Jamuni
Jamuni
₹175.00 ₹145.00
₹175.00 ₹145.00
Author: Mithileshwar
Pages: 167
Year: 2001
Binding: Hardbound
ISBN: 9788126701605
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Description
जमुनी
‘‘मिथिलेश्वर ग्रामीण परिवेश के सशक्त कथाकार हैं। उनकी लम्बी कहानी जमुनी को कृषक-जीवन की महागाथा कहा जा सकता है, जिसमें एक सामान्य भारतीय कृषक परिवार के प्रेम-घृणा, आस्था-विश्वास, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद, सम्पत्ति-विपत्ति और उत्थान-पतन का मार्मिक एवं सजीव चित्र प्रस्तुत किया गया है…। शिल्प का रचाव निश्चय ही कहानी को महत्त्वपूर्ण बना देता है, किन्तु कहीं-कहीं अनायास सादगी ही शिल्प का श्रृंगार बन जाती है। प्रेमचन्द का कथाशिल्प ऐसा ही था। वर्तमान कथाकारों में मिथिलेश्वर का कथाशिल्प भी इसी प्रकार का है।’’
– डॉ. राकेश गुप्त एवं डॉ. ऋषिकुमार चतुर्वेदी
हिन्दी कहानी 1991-95, खण्ड-2 का भूमिकांश शीर्षक कथा जमुनी एक लम्बी कहानी है जिसमें एक कृषक परिवार का संघर्ष जीवन्त हो उठता है और जहाँ अपनी भूख-प्यास और नींद-आराम को दरकिनार करते हुए हर एक की चिन्ता बीमार भैंस को मृत्यु के मुख में जाने से बचाने की है, क्योंकि वह भैंस ही उनकी सुख-समृद्धि का केन्द्र है। जमुनी के अतिरिक्त इस संग्रह की अन्य कहानियाँ भी जीवन और जगत के जरूरी सवालों के जवाब तलाशती अमिट प्रभाव कायम करनेवाली कहानियाँ हैं। निःसन्देह यह कहानी-संग्रह समर्थ कथाशिल्पी मिथिलेश्वर के प्रौढ़ कथा-लेखन की सार्थक यात्रा का द्योतक है। ‘बाबूजी’ के कथाकार ने अपने लेखकीय नैरन्तैर्य और श्रेष्ठ कथा-लेखन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट मौजूदगी का एहसास कराते हुए हिन्दी कथा-जगत को और अधिक ऊर्जस्वित और विकसित किया है…।
अनुक्रम | |||||
छूँछी | 9 | ||||
विषवृक्ष | 17 | ||||
सत की सोर पाताल तक | 32 | ||||
नदी की राह में | 40 | ||||
जमुनी | 68 | ||||
सुबह की प्रतीक्षा | 103 | ||||
भूकंप | 112 | ||||
प्लेग | 118 | ||||
दुर्घटना | 127 | ||||
गूँगा गंगू | 133 | ||||
बैराडीह की चंद्रावती | 143 |
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2001 |
Pulisher | |
ISBN |
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