Kala Ka Jokhim

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Kala Ka Jokhim

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Author: Nirmal Verma

Availability: 5 in stock

Pages: 182

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789360867782

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

कला का जोखिम

‘कला का जोखिम’ में शामिल निबन्धों की मूल चिन्ता समाज, सभ्यता और हमारे जीवन में कला की अवस्थिति को लेकर है, हमारे देखने और जीने में उसकी भूमिका को लेकर है। लेकिन ये निबन्ध इसी विषय पर केन्द्रित किसी शोध या चिन्तन-परियोजना का परिणाम नहीं हैं। इनके विषय अलग-अलग हैं, लेकिन वे सब किसी न किसी तरह इस प्रश्न को छूते हैं कि वर्तमान सभ्यता में कला की क्या जगह है ? क्या वह जीवन से कट गई है ? और क्या जीवन से कटकर उसने अपनी कोई स्वायत्त सत्ता बनाई है ?

‘रचना-चिन्तन’, ‘रचनाकार’ और ‘रचना-यात्रा’ शीर्षक खंडों में विभाजित ये निबन्ध संवेदना, मानवीयता, आंतरिक नैतिकता और रचनात्मकता आदि उन मूल्यों को भी रेखांकित करते हैं जिनसे कला का सम्पूर्ण अनुभव बनता है।

‘रचना-चिन्तन’ के निबन्ध जहाँ साहित्य के आज भी प्रासंगिक प्रश्नों को छूते हैं, तो ‘रचनाकार’ खंड के आलेख रेणु, मुक्तिबोध, अज्ञेय, नाबोकोव जैसे साहित्यकारों तथा भारतीय राजनीति के एकायामी, एकस्तरीय, प्रोफ़ेशनल ढाँचे को तोड़ने का प्रयास करने वाले जयप्रकाश नारायण से हमारा परिचय एक नए रूप में कराते हैं।

‘रचना-यात्रा’ के तहत संकलित निर्मल जी का अत्यन्त चर्चित यात्रा-लेख ‘सुलगती टहनी’भी आप यहाँ पढ़ पाएँगे।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Pulisher

Publishing Year

2024

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