- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
खाली कोना
समकालीन कविता बहुतेरी रूढ़ियों को तोड़ते हुए आगे बढ़ती रही है। कविता के विकास की इस यात्रा में हरिओम राजोरिया एक महत्वपूर्ण नाम है। समय सापेक्ष होना यदि अच्छी कविताई के लिए बुनियादी शर्त है तो यह कहना उचित ही होगा कि राजोरिया अपने समय के अनिवार्य कवि हैं। ये कविताएँ जिस उत्सवधर्मिता के साथ जीवन को गाती हैं उसमें मनुष्यता के विभिन्न रागों को बेहतर लय में सुना जा सकता है। दैनिक जीवन के सामान्य दृश्यों और स्थितियों के सहज बिम्बों से राजोरिया असामान्य और विलक्षण अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत करने में सफल होते हैं तो इसीलिए कि कवि खुली आँखों से खुले आकाश में विचरण करता है। चूँकि यह विचरण सिर्फ यायावरी नहीं इसके काव्योद्देश्य भी हैं, इसलिए विचार औऱ संवेदना के अलावा भाषिक निकष पर भी कवि खरा दिखायी पड़ता है।
इन कविताओं में जो ‘कोना’ रेखांकित हुआ है वह खाली नहीं अपितु सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता व सरोकार से भरा कोना है। इसलिए राजोरिया सिर्फ सुख-सौन्दर्य के कवि नहीं, एक जरूरी अक्खड़ता से लैस राजनीतिक कवि भी हैं। निस्सन्देह उनकी कविता के सरोकार मनुष्य को थोड़ा और मनुष्य बनाने के हैं।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.