Khandaharon Ke Beech

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Khandaharon Ke Beech

Khandaharon Ke Beech

350.00 285.00

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350.00 285.00

Author: A Arvindakshan

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788194769736

Language: Hindi

Publisher: Anamika Publishers

Description

खण्डहरों के बीच

श्री अरविंदाक्षन के बारहवें काव्य संग्रह की कविताएँ विषय कण्टेंट की विविधता से समृद्ध हैं। उनके कथ्य बहुआयामिक एवं सुरुचिपूर्ण हैं। उनकी कविताओं में मानवीय मूल्यों की उष्मा है, सम्वेदनाओं का तंत्र है और व्यर्थ की बयानबाजियां नहीं हैं। वे सामयिक विषयों से लेकर सांदर्भिक विषयों से भरपूर हैं। ‘खजुराहो के बीच’ शीर्षक कविता में वे अतीत की पृष्ठभूमि में वर्तमान को आख्यायित करते नजर आते हैं और वे पाते है कि आज भी क्या बदला है। दुःखों के वही पुराने कारण हैं जिन्होंने धरती पर मनुष्य को कभी चैन से रहने नहीं दिया-

प्रथम दृष्टया उनकी कविताओं को पढ़ते हुए इसका आभास ही नहीं होता कि वे अहिन्दीभाषी कवि हैं।

अरविदांक्षन की इन कविताओं में भाषिक सौन्दर्य नहीं अपितु सत्य के अन्वेषण की सरलता तलाश की जानी चाहिए। उनकी कविता में कहानियाँ भरी पड़ी हैं बल्कि यह कहना चाहिए कि वे कहानीमय कविता पाठकों के समक्ष परोसते हैं ताकि पाठकों को यह अफसोस न हो कि कोई बात कहने से रह गयी है।

वे मनुष्य की जिजीविषा के पक्षधर कवि हैं। सपने देखने का अधिकार हर मनुष्य को है। ‘उनकी गाड़ी चलती रहती है’ शीर्षक कविता में वे इस तथ्य की ओर इंगित करते हैं कि तमाम दुःखों की वास्तविकताओं के बावजूद सुखी होने की इच्छा कभी समाप्त नहीं होती ।

सच कहें तो पाण्डित्य के प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि परती के परिजनों के परोपकार के महत्व को रेखांकित करने वाले कवि हैं श्री अरिंदाक्षन।

– अशोक शाह

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2020

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