Machhliyan Gayengi Ek Din Pandumgeet

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Machhliyan Gayengi Ek Din Pandumgeet

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299.00 225.00

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299.00 225.00

Author: Poonam Vasam

Availability: 5 in stock

Pages: 158

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789355180506

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

मछलियाँ गायेंगी एक दिन पंडुमगीत

मछलियाँ गायेंगी एक दिन पंडुमगीत – एक ऐसी जगह है जहाँ घड़ियाँ उल्टी घूमती हैं और इन्सान सीधे। एक ऐसी जगह है जहाँ का देवता पक्की छत नहीं माँगता वह झुरमुट के नीचे रह लेता है। एक ऐसी जगह है जहाँ गुफाएँ हैं, जहाँ गुफाओं में मछलियाँ हैं, कहा जाता है कि वह अन्धी हैं, बावजूद उसके वो पूरी सभ्यता को एकटक देखती रहती हैं। एक ऐसी जगह है जहाँ नदियाँ हैं, झरने हैं, पहाड़ हैं, जंगल हैं, बावजूद उस मिट्टी में अपनी हड्डियाँ गला देने वाले पैरों के नीचे ज़मीन का एक टुकड़ा भी नहीं। एक ऐसी जगह है जहाँ लोहे के पहाड़ हैं, खनिज सम्पदा का भण्डार है फिर भी पेट का भर जाना वहाँ आज भी उत्सव है। एक ऐसी जगह है जहाँ पेज से भरा तूम्बा लड़ता है भूख व प्यास के खिलाफ, जहाँ तूम्बा का कन्धे पर लटकना प्रतीक है मानवीय सभ्यता के बचे रहने का। एक ऐसी जगह है जहाँ मृत्यु के बाद भी मृतक ज़िन्दा रहता है अपने ही ‘मृतक स्तम्भ’ के मेनहीर में।

एक ऐसी जगह है जहाँ देवता को भक्त की मन्नत पूरी न करने पर सज़ा देने का प्रावधान है, बावजूद इसके सभ्यता की अदालत में उन्हें असभ्य ठहराया जाता है। एक ऐसी जगह है जहाँ बहुत कमज़ोर हाथों से यह उम्मीद की जाती है कि ताड़ को झोंक लें अपनी हथेलियों में; बावजूद ‘ताड़-झोंकनी’ के क़िस्सों में वे लोग अमर नहीं हो पाये।

एक ऐसी जगह है जहाँ की सभ्यता में तमाम लोकाचारों और प्रकृतिजन्य अनुशासनों के बाद भी ‘कुछ’ गड़बड़ है और यह जो गड़बड़ है, मैं उसे भाषा देने की कोशिश करती हूँ। मैं सैकड़ों साल से महुआ बीनती अपनी पुरखिन की टोकरी के खालीपन को अपनी भाषा से भरना चाहती हूँ। इसी जगह पर मेरा पुरखा बहुत सालों से अपने धनुष की प्रत्यंचा बार-बार बाँध रहा है उसकी कमानी बार-बार फिसलती है। मेरा पुरखा कई बार थक कर मर चुका है।

मैं उसे देखती हूँ और अपनी भाषा में चीखती हूँ।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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