Mere Vistar Ka Koi Ant Nahi

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Mere Vistar Ka Koi Ant Nahi

Mere Vistar Ka Koi Ant Nahi

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Author: Leeladhar Jagudi

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789392998034

Language: Hindi

Publisher: Nayeekitab Prakashan

Description

मेरे विस्तार का कोई अन्त नहीं

युद्ध हम सोचते हैं कि युद्ध अलग से आता है जब कि युद्ध हमारे साथ ही पैदा हो जाता है हमें आपत्ति है युद्ध के होने से युद्ध को कोई आपत्ति नहीं है हमारे होने से रोज हम युद्ध को किनारे करने जाते हैं और वह है कि हमें किनारे ठेलकर हमारे बीच आ जाता है एक दिन घबड़ाते हैं दो दिन सोच में पड़ जाते हैं फिर रातें और अँधेरी करने में जुट जाते हैं पड़ने वाली चोट का उपचार ढूँढकर रखते हैं घायल होंगे के बाद की मरहम पट्टियाँ जुटा कर रखते हैं ज्यों–ज्यों मरते हैं हम त्यों–त्यों अमर होता जाता है युद्ध।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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