Patanjal Yogsutra Yogdarsh

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Patanjal Yogsutra Yogdarsh

Patanjal Yogsutra Yogdarsh

400.00 399.00

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400.00 399.00

Author: Nandlal Dashora

Availability: 4 in stock

Pages: 140

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 0000000000000

Language: Hindi

Publisher: Randhir Prakashan

Description

पातंजल योगसूत्र योगदर्शन
योग का अर्थ है ‘मिलना’, ‘जुड़ना’, ‘संयुक्त होना’ आदि। जिस विधि से साधक अपने प्रकृति जन्य विकारों को त्याग कर अपनी आत्मा के साथ संयुक्त होता है वही ‘योग’ है। यह आत्मा ही उसका निज स्वरूप है तथा यही उसका स्वभाव है। अन्य सभी स्वरूप प्रकृति जन्य हैं जो अज्ञानवश अपने ज्ञान होते हैं। इन मुखौटों को उतारकर अपने वास्तविक स्वरूप को उपलब्ध हो जाना ही योग है। यही उसकी ‘कैवल्यावस्था’ तथा ‘मोक्ष’ है। योग की अनेक विधियाँ हैं। कोई किसी का भी अवलम्बन करे अन्तिम परिणाम वही होगा। विधियों की भिन्नता के आधार पर योग के भी अनेक नाम हो गये हैं जैसे-राजयोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, संन्यासयोग, बुद्धियोग, हठयोग, नादयोग, लययोग, बिन्दुयोग, ध्यानयोग, क्रियायोग आदि किन्तु सबका एक ही ध्येय है उस पुरुष (आत्मा) के साथ अभेद सम्बन्ध स्थापित करना। महर्षि पतंजलि का यह योग दर्शन इन सब में श्रेष्ठ एवं ज्ञानोपलब्धि का विधिवत् मार्ग बताता है जो शरीर, इन्द्रियों तथा मन को पूर्ण अनुशासित करके चित्त की वृत्तियों का निरोध करता है।

पतंजलि चित्त की वृत्तियों के निरोध को ही ‘योग’ कहते हैं क्योंकि इनके पूर्ण निरोध से आत्मा अपने स्वरूप में स्थित हो जाती है।…

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

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