Poornavtar

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195.00 150.00

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Author: Hetu Bhardwaj

Availability: 5 in stock

Pages: 56

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355182951

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

पूर्णावतार

तात ! क्या सम्राट होना ही सब कुछ है ? मैं अनिंद्य सुन्दरी राजकुमारी थी मेरी भी कुछ आकांक्षाएँ थीं पर हार गयी क्योंकि मैं नारी थी कुछ भी कहो देव ! आपके समक्ष मैं तो नादान हूँ क्या कर सकती थी असहाय नारी इस क्रीड़ा में कन्दुक थी मैं तो बेचारी नेत्र चाहे बन्द हों या खुले हम वे ही देख पाते हैं जो देखना चाहते हैं कोई अन्धा नहीं है यहाँ न तात धृतराष्ट्र न गान्धारी माते आप दोनों समझते थे अपने-अपने पाप बलशाली होना भी अन्धापन है शस्त्र के बल पर मनमानी करना दुर्बल को सताना सिर्फ़ अन्धापन है गान्धारी यह तुम्हारा नहीं गान्धार देश का अपमान है नारी जाति का अपमान है क्या बचा है मेरे पास अभिशाप बन जीना होगा न मर पाने का विष पीना होगा तरसूँगा पर मृत्यु नहीं पाऊँगा भटकते रहने की पीड़ा कब तक सह पाऊँगा ? ठीक कहते हो प्राण ! तुम तो अन्धे थे मैंने भी किया मर्यादा का पालन पतिधर्म का व्रत, शपथ ली मैंने – अन्धे व्यक्ति की पत्नी अन्धी ही रहेगी यह मर्यादा युग-युग तक चलेगी पति चाहे जैसा हो पत्नी तो अन्धी ही रहेगी।

– हेतु भरद्वाज

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Hardbound

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Language

Hindi

Publishing Year

2022

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Pulisher

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