Prem Ke Saath Peetai

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Prem Ke Saath Peetai

Prem Ke Saath Peetai

200.00 170.00

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200.00 170.00

Author: Lavleen

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171381173

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

प्रेम के साथ पिटाई

जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, स्त्री-विमर्श के इस सोपान पर लेखिका ने मुख्यतः स्त्री के प्रति घरेलू हिंसा तथा उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न सहित-की समस्या पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया हैं। हमारे पितृसत्तात्मक समाज में पुरुष का वर्चस्व सदा से हावी रहा है और पुरुष आदिकाल से ही येन-केन-प्रकारेण स्‍त्री को अपनी दासी और भोग्या बनाकर रखने के लिए कुछ भी करता आया है।

इसके लिए उसने स्त्री को कभी देवी के स्थान पर स्थापित किया, कभी डायन-चुड़ैल घोषित किया तो कभी उच्च आदर्शों की प्रतिमान महासती सावित्री का। पुरुष ने ही कहा कि जहां स्त्रियां हैं, वहीं देवता बसते हैं। पर इस मंत्र से भरमाकर वह अपने स्वार्थ ही साधता रहा है। वह स्त्री से केवल आनंद और सेवा चाहता है और उसे सामाजिक विधि-विधानों से जकड़कर गन्‍ने की तरह उसका रस निचोड़ना ही उसका लक्ष्य रहा है। पर आज की नारी अपने अधिकारों के प्रति सचेत होकर चुनौती बन गई हैं तो वह सहन नहीं कर पा रहा है और हर तरह से स्त्री का उत्पीड़न करने पर तुल जाता है। इसी कारण सफल स्त्रियों की अस्मिता भी संकट में है ! वह अकेली और उदास है। उत्पीड़न की, हिंसा की शिकार !

आखिर क्या समाधान है इसका ?

अनुक्रम

समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए

सफल स्त्रियां : अस्मिता के संकट

साहित्य में स्त्री-लेखन और स्त्री-विमर्श

घरेलू हिंसा : बरअक्स कानून

रिश्तों में पाशविक हिंसा

महिला थानों के हाल-चाल

राजस्थान की अरुणा राय

प्रेम के साथ पिटाई

क्या बुद्धिजीवी महिलाओं में नारीत्व नहीं होता ?

बदल रहा है मां का चेहरा

स्त्री अनेक मैत्रियां निभा सकती है, पुरुष नहीं !

‘गर्लफ्रेंड’ के बहाने

स्त्री-मन की धधकती आग

वाह साथिन, आह साथिन !

स्त्री ही आत्महत्या क्‍यों करती है ?

महिला दिवस : गांव की औरतों का अपना दिवस

ये रीमिक्स क्‍या है ? ये कैसा संगीत है !

महिला आंदोलन : गवाही इतिहास की

तिलोनियां के महिला मंडल

सूचना के अधिकार की संघर्ष-गाथा

रिश्तों का नीलामघर बना थाना

अपसंस्कृति के खिलाफ

महिला सबलीकरण : कानून कया कहता है !

कार्य-स्थल पर यौन शोषण : एक शोध

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Publishing Year

2012

Pages

Pulisher

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