Samagra Kahaniyan (2 Volume Set)
Samagra Kahaniyan (2 Volume Set)
₹1,590.00 ₹1,390.00
₹1,590.00 ₹1,390.00
Author: Narendra Kohli
Pages: 390
Year: 2009
Binding: Hardbound
ISBN: 9788181436238
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
समग्र कहानियाँ
जिधर दृष्टि जाती थी, कोई-न-कोई कहानी दीख जाती थी – अपने भीतर भी, अपने बाहर भी। फिर भी मेरी आरंभिक कहानियाँ इस अर्थ में काफी आत्म-केन्द्रित रही हैं कि उनकी सामग्री मैंने अपने परिवार और निकट संबंधियों के व्यक्तिगत जीवन से ही ली है। अबोध शैशव को पीछे छोड़ आए, पहली बार आँखें खोलते हुए तरुण मन के लिए शायद यही स्वाभाविक था। प्रतिदिन सामाजिक पारिवारिक जीवन के किसी न किसी नये तथ्य का उद्घाटन हो रहा था। अपने आस-पास घटती घटनाओं की अनुभूतियों का ताजापन और उनके प्रति तीखी प्रतिक्रिया मुझे कहानी लिखने को बाध्य कर रही थी। कॉलेज के नये-नये अनुभव, हल्के-हल्के रोमांस, घर में पहला विवाह, नये बनते संबंध और पुराने संबंधों के प्रति विद्रोह जैसे उपकरण मुझे अनायास ही सुलभ हो गये थे, और मेरे पास था मस्ती से भरा तथा लोगों को कोंचने को आतुर मन, चुहल से कटाक्ष तथा विद्रूप तक जाती वाणी, स्वयं को बड़ों के बराबर मनवाने का किशोर प्रयास…क्योंकि बड़ों के गरिमायुक्त व्यक्तित्व क्रमशः हल्के पड़ते जा रहे थे।
आरम्भिक कहानियों में घटनाओं के नाटकीय संयोजन से, विसंगतियों तथा दोहरे मान-दंडों पर प्रहार करना ही शायद मेरा प्रमुख उद्देश्य था। आज सोचता हूँ तो लगता है कि शायद अपने विद्रोह की घोषणा करने के लिए ही मैंने कहानियाँ लिखी थीं।
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2009 |
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