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योग साधना प्राणायाम विधि और ध्यान से लाभ
चित्त की अनियन्त्रित वृत्तियाँ ही संसार में सभी दुःखों का कारण हैं तथा इसी से सभी प्रकार के कुकर्म, दुराचार, अनाचार, अत्याचार आदि होते हैं जिससे व्यक्ति का स्वयं का व्यक्तित्व एवं सम्पूर्ण समाज का वातावरण दूषित हो जाता है। चित्त की इन अनियन्त्रित एवं उच्छ्रंखल वृत्तियों को नियन्त्रण में लाने का कार्य योग द्वारा ही सम्भव है। इनके निरोध से एक ओर समाज में सुव्यवस्था आती है तथा दूसरी ओर व्यक्ति अपनी सुप्त शक्तियों एवं क्षमताओं का विकास करके आत्मा के प्रकाश से आलोकित हो उठता है। आत्मा का यही प्रकाश उसके मोक्ष का कारण बनता है।
Additional information
| Binding | Paperback |
|---|---|
| Authors | |
| ISBN | |
| Language | Hindi |
| Pages | |
| Publishing Year | 2015 |
| Pulisher |











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