-1%
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
योग साधना प्राणायाम विधि और ध्यान से लाभ
चित्त की अनियन्त्रित वृत्तियाँ ही संसार में सभी दुःखों का कारण हैं तथा इसी से सभी प्रकार के कुकर्म, दुराचार, अनाचार, अत्याचार आदि होते हैं जिससे व्यक्ति का स्वयं का व्यक्तित्व एवं सम्पूर्ण समाज का वातावरण दूषित हो जाता है। चित्त की इन अनियन्त्रित एवं उच्छ्रंखल वृत्तियों को नियन्त्रण में लाने का कार्य योग द्वारा ही सम्भव है। इनके निरोध से एक ओर समाज में सुव्यवस्था आती है तथा दूसरी ओर व्यक्ति अपनी सुप्त शक्तियों एवं क्षमताओं का विकास करके आत्मा के प्रकाश से आलोकित हो उठता है। आत्मा का यही प्रकाश उसके मोक्ष का कारण बनता है।
Additional information
Binding | Paperback |
---|---|
Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.