जसवीर मंड ने अपना साहित्यिक सफर ‘औड़ दे बीज’ उपन्यास से किया जो बहुत चर्चित हुआ। उसके बाद दो और उपन्यास आए। जिसमें उन्होंने अपनी अलग भाषा शैली इस्तेमाल की। ‘बोल मर्दानिया’ के प्रकाशित होने पर उनकी चर्चा इतिहास, मिथिहास तथा धर्म को नए सिरे से समझते तथा आधुनिक भाषा में नए अर्थ सृजन से हुई। जसवीर मंड 20 वर्ष जापान में रहने के बाद अपने गाँव लौट आए तथा अपने साहित्यिक सफर को जारी रखा। उन्हें कई सम्मान तथा भाई वीर सिंह पुरस्कार (गुरु नानक देव विश्वविद्यालय) भी प्राप्त हो चुका है।
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