मुजीब रिज़वी इलाहाबाद की मशहूर तहसील चयल के एक क़स्बे में 14 मई, 1934 को पैदा हुए। आरंभिक शिक्षा इलाहाबाद में हुई। स्नातक की डिग्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हासिल की। इस दौरान वो पंडित सुंदरलाल के सानिध्य में स्वतंत्रता आंदोलन और वामपंथी आंदोलनों एवं गतिविधियों में भी सक्रिय रहे। अलीगढ़ से हिंदी में एम.ए. करने के बाद उन्होंने 1960 की दहाई में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंदी विभाग की नींव डाली। उन्होंने जामिया और हिन्दी विभाग की बेशक़ीमत खिदमत की और अंततः एक्टिंग वाइस चांसलर होकर वहीं से सेवानिवृत्त हुए। सूफ़ी प्रेमाख्यानों पर उनके अनेक निबंध हैं और वे इस विषय के अद्भुत विशेषज्ञ थे। ‘सब लिखनी कै लिखु संसारा : पद्मावत और जायसी की दुनिया’ उनकी बहुचर्चित किताब है। जायसी, मीर अनीस, फ़िराक़, वैष्णव भक्ति, तुलसी, मुल्ला दाऊद, कबीर और दूसरे सूफ़ी-भक्ति विचारधारा के निर्गुण-सगुण कवियों पर उनके निबन्धों पर आधारित यह किताब ‘पीछे फिरत कहत कबीर कबीर’ 2009 में उर्दू में प्रकाशित हुई थी और अब पहली बार हिंदी में आ रही है। 24 मई, 2015 को उनका निधन हुआ।
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