Prof. Harimohan

Prof. Harimohan

प्रो. हरिमोहन

हिन्दी-साहित्य और पत्रकारिता-विषयक अनेक पुस्तकों के लेखक; मूलतः कवि, कथाकार और समीक्षक। अब तक 35 पुस्तकें प्रकाशित। आलोचना की 10 पुस्तकों में से उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – साहित्यिक विधाएँ पुनर्विचार, कालजयी कवि भवानी प्रसाद मिश्र, मध्य कालीन काव्य : पहचान और परख, नव्यतर गद्य विधाएँ। रेडियो और दूरदर्शन पत्रकारिता, सूचना प्रौद्योगिकी और जनसंचार, आधुनिक जनसंचार और हिन्दी। प्रायः सभी पत्र-पत्रिकाओं में व्यापक लेखन। अनेक देशों की यात्राएँ। एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय एवं उ.प्र. राज्य स्तरीय पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त। 25 वर्ष तक (1978 से 2003) हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, गढ़वाल में प्राध्यापक, उपाचार्य एवं आचार्य तथा हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद 2003 से डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के प्रतिष्ठित क. मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ में हिन्दी साहित्य के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष। कुछ समय तक आगरा विश्वविद्यालय के कुलसचिव के पद का दायित्व-निर्वहन।

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