Aushadhiya Paudhe

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Aushadhiya Paudhe

Aushadhiya Paudhe

200.00 199.00

In stock

200.00 199.00

Author: Sudhanshu Kumar Jain

Availability: 1 in stock

Pages: 242

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788123761831

Language: Hindi

Publisher: National Book Trust

Description

औषधीय पौधे

औषधि तथा शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का इतिहास कदाचित उतना ही पुराना है, जितना मानव का। किन्तु प्रागैतिहासिक काल में घटनाओं को लिपिबद्ध करने का साधन न होने से आज हमें यह ज्ञात नहीं है कि रोग और उसके निवारण के विषय में आरंभ से मानव की क्या धारणाएं या साधन थे। जब से घटनाओं के प्रमाण मिलते हैं, यह ज्ञात होता है कि पुरातन काल में, अन्य विद्याओं की भांति, रोग के निदान एवं निवारण की विद्या का भी अनेक नक्षत्रों, ऋतुओं एवं दैवी शक्तियों से घनिष्ठ संबंध समझा जाता था, इसलिए चिकित्सा एवं परिचर्या के साथ साथ देवी-देवता, धर्म तथा अंधविश्वास आदि अनेक रूढ़ियाँ चिकित्सा का एक आवश्यक अंग-सा बन गई थीं। फिर भी, किसी न किसी प्रकार की वास्तविक चिकित्सा एवं परिचर्या रोग-निवारण के साधन अवश्य रही होगी यह निश्चित है। जब कभी आज के वैज्ञानिक युग के मानव की चिर अतृप्त जिज्ञासा ने भूतकाल की गहराइयों में दृष्टि डाली है, तभी से पुरातन काल की घटनाओं के लिखित, अर्द्धलिखित या अलिखित कुछ न कुछ प्रमाण मिल ही गये हैं। और ये सभी हमारे पूर्वजों की (उस परिस्थिति में) योग्यता, दूरदर्शिता एवं पुरुषार्थ भरे इतिहास के रोचक पृष्ठ हैं।

भारतवर्ष में रोग निवारण के लिए पौधों के प्रयोग का कदाचित सर्वप्रथम वर्णन ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद में सूत्रों में वर्णित अनेक औषधियों के नाम तो इतने शुद्ध और स्पष्ट हैं कि आज भी उन नामों से पौधों को भली भांति पहचान सकते हैं, जैसे-सेमल, पीपल, पलास तथा पिठवन। किंतु ऋग्वेद में प्राय: औषधियों के विषय में अधिक विवरण नहीं है। अथर्ववेद में अधिक विस्तारपूर्वक वर्णन है। ऋग्वेद का रचना काल लगभग 3,500-1,800 वर्ष ईसा पूर्व बताते हैं। वेदों की रचना के बाद लगभग 1,000 वर्ष तक इस विद्या की उन्नति का कोई प्रमाण नहीं है। उसके पश्चात चरक और सुश्रुत के भारतीय वनौषधि पर दो अत्यंत महत्त्वपूर्ण ग्रंथ- चरक संहिता एवं सुश्रुत संहिता-सामने आये। चरक संहिता में लगभग 700 औषधियों का वर्णन है, इनमें से कुछ पौधे भारतीय नहीं थे। सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) का वर्णन है। सुश्रुत को विदेशी वैज्ञानिकों ने भी बहुत मान्यता दी है। वे स्वीकार करते हैं कि भारत में शायद ‘प्लास्टिक सर्जरी’ की प्रथा 2,000 वर्ष पहले से ही थी।

प्रस्तुत पुस्तक सामान्य पाठकों को ध्यान में रखकर स़रल और सुबोध भाषा में लिखी गई है। इसमें लगभग सौ किस्म के पौधों के स्थानीय नाम, वर्णन, प्राप्ति स्थान और औषधीय गुण आदि के बारे यें जानकारी दी गई है।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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