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अयोध्या का इतिहास
वेदों में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है। ‘अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या’ और इसकी सम्पन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में अयोध्या का अल्लेख है –
अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या।
तस्यां हिरण्मयः काशः स्वर्गों ज्योतिषावृतः।।
रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। स्कन्दपुराण के अनुसार सरयू के तट पर दिव्य शोभा से युक्त दूसरी अमरावती के समान अयोध्या नगरी है। भगवान रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ। इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। रामचन्द्र अवतार के रूप में पूजे जाते है। ऐसे अयोध्या का इतिहास है यह पुस्तक जिसका पौराणिक महता अथवा ज्ञान वृद्धि के लिए पठन-पाठन अवश्य होना चाहिए।
अयोध्या का नाम सात तीर्थों में सबसे पहले आया है – अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांचीपुरम, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका। इन्हें सप्तपुरी भी कहा जाता है। मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2025 |
Pulisher |
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